Book Title: Chaiyavandanmahabhasam
Author(s): Shantisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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पाचकसातर
सिरिसंतिरिक्तिले संपो महापुमावो, अमरिंद-परिंदवदिजो एसो। सिपपरेहिरिनियमा, पणमिजद देसणारं ॥६॥ सोमहानुभावोऽनरेन्द्र नरेलबन्दित । तीन विमालालम्ब देशनारस्मे ॥६॥ ना एक्समाचारो, किपिजतो विरुणा कल्लाणं । पोसह पुनमउल, पायगवे जजो मपि ॥७॥ बत एकत्समाचार कार्यमानोऽपि करोति कल्याणम् । पोषयति पुग्यमतुलं वाचकान्ये यतो मणिवम् ॥ ७॥ अ तिवारीपामावा स्वर्णतरेहि परिकहिना। बहुसो नि तेति परिकिरण पूर्व लहा हि in ये वीर्यकरप्रणीता मावास्तदनन्तरैः परिकविताः ।
बहुशोऽपि ते परिकीर्तनेन पुण्वं समते पुष्टिम् ॥ ८॥ प्रन्बहेतुः अइगरुयमचिबहुमाणचोइजो मंदबुदिबोहत्वं ।
परिपरंपरपर्व, किमि अहं पितं ततो ॥९॥ अतिगुरुकमनिहुमानचोदितो मन्दबुद्धिबोधार्यम् । सूरिपरम्पया कीर्तयाम्यहमपि तं वः ॥ ९॥ अहिमारिणा उपले, कायना बंदचा जिवाई। सनमुदिनिमिर्ष, कम्मक्लयमिच्छमाणेन ॥१०॥ मधिकारिका तुपले वर्चव्या बन्दना जिनादीनाम् ।
पर्सनादिनिमि कर्मक्षयमिच्छता ॥ १०॥ . अधिकारी संवेगवरो जीवो, बहिमारी वंदपाएँ त।
कालो र तिमि संझा, सामनेयेल विबेजो॥११॥ १.वालो नाम तत्वावधानन्यविधाता श्रीउमास्वातिवाचकः।
१. बापाने पद्मावतं तदस्म-" तीवीता भावासदन्तः परिक पिवादे पर मीनि" सीन
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