Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Author(s): Shivnath Lumbaji
Publisher: Porwal and Company
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अजर अमर अद्भुत अतिशय निधि, प्रवचन जलधि मयंक नमो ॥ अरि० ॥२॥ तिहुयण भवियण जणमण वंछिय, पूरण देव रसाल नमो || ललि ललि पाय नमुं हुं भाले, करजोडीने त्रिकाल नपो ॥ अरि० ॥३॥ सिद्ध बुद्ध तुं जग जन सज्जन, नयना नंदन देव नमो ॥ सकल सुरासुर नरवर नायक, सारे अहो निश सेव नमो । अरि० ॥ ४ ॥ तुं तीर्थकर सुखकर साहिब, तुं निःकारण बंधु नमो || शरणागत भविने हितवत्सल, तुंही कृपारस सिंधु नमो ॥ अरि० १.५।। केवलज्ञाना दर्शे दर्शित, लोकालोक स्वभाव नमो । नाशित सकल कलंक कलुषगण, दुरित उपद्रव भाव नमो ॥अरि० ॥ ६ ॥ जग चिंतामणि जगगुरु जगहित, कारण जगजन नाथ नमो ॥ घोर अपार भवोदधि तारण, तुं शिवपुरनो साथ नमो ॥ ॥ अरि० ॥ ७॥ अशरण शरण नीराग निरंजन, निरुपाधिक जगदीश नमो ॥ वोधि दोओ अनुपम दानेसर, छानविमल सूरीश नमो । अरि० ॥८॥ इति ॥
॥ श्री अजितनाथर्नु चैत्यवंदन ॥
। आव्या विजय विमानथी, नयरी अयोध्या ठाम||मानवगण रिख रोहिणी, मुनिजनना विशराम ॥१॥ अजितनाथ वृष राशिए, जनम्या जगदापार॥ योनि भुजंगम पयहरु, माने वर्ष ते बार ॥२॥ सप्तपर्ण वरू हेठछेए, शान महोत्सव सार ॥ एक सहसशुं शिक वर्या, वीरघरे बहु प्यार ॥ ३॥ इति ॥
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