Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६५ यज्ञमंत्रं यः (पुं०) अन्तस्थ स्थान। यकार। (सुद०१ जयो० १/६६) यः (पुं०) [या+ड] गाड़ी, यान। ०वायु, हवा। यश। जौव। यो वातयशसोः पुंसि इति च विश्वलोचनः। यशः कीर्ति, प्रेम। (जयो० ) यकन् (नपुं०) जिगर। यकृत् (नपुं०) [यं संयमं करोति कृ क्विप् तुक् च] जिगर। यकृतकोषः (पुं०) जिगर को ढकने वाली झिल्ली। यकृतात्मिका (स्त्री०) एक कीट विशेष। यकृतोदरं (नपुं०) जिगरकी वृद्धि। यक्षः (पुं०) [यक्ष्यते-यक्ष+घञ] ०देव जाति, देव प्रकार। (वीरो० १३/२०) व्यन्तदेवों का एक भेद, व्यन्तरा किन्नर किं पुरुष महोरगः गांधर्वयक्ष-राक्षस-भूत-पिशाचाः। (त०सू० ४/११) लोभ की प्रचुरता वाले। लोभभूयिष्ठाः भाण्डागारे नियुक्ताः यक्षाः। (धव० १३/३९१) यक्षकर्दमः (पुं०) कपूर, लेप। यक्षग्रहः (पुं०) यक्ष बाधा। यक्षधूपः (पुं०) गूगल, लोबान। यक्षरसः (पुं०) मादक पेय। यक्षराज् (पुं०) कुबेर। यक्षरात्रिः (स्त्री०) दीपावली। यक्षवित्तः (पुं०) कुबेर सदृश धन। यक्षिणी (स्त्री०) [यक्ष+इनि+ङीप्] यक्ष जाति की स्त्री। ०कुबेर की पत्नी। एक अप्सरा। यक्षी (स्त्री०) यक्षिणी। यक्षेन्द्रः (पुं०) इन्द्र। (जयो० २६/६४) ०देवाधिपति। यक्ष्मः (पुं०) [यक्ष मन्] क्षयरोग राजरुक, राजरोग। (जयो०वृ०६/७५) यक्ष्मन् देखो ऊपर। राजयक्ष रोग। ०क्षयरोग। यक्ष्मग्रहः (पुं०) क्षय रोग का आक्रमण। यक्ष्मग्रस्त (वि०) क्षयरोगी। यक्ष्मणं (नपुं०) राजरुक्, राजरोग। (जयो० ६/७५) यक्ष्मरुज् (नपुं०) क्षयरोग। यक्ष्मिन् (वि०) [यक्ष्म इनि] क्षयरोग से पीड़ित। यज् (अक०) पूजा करना, सम्मान करना। आहूति देना। अचर्ना करना, यज्ञ करना। यजः (पुं०) याम, याग, यज्ञ, पूजा। 'यज' इति व्यत्पयेन विपर्ययेणाथवा कृत्वापि स 'यज' इत्येव भवति तस्मात् सा यजनेतत्पराभूदिति। (जयो० २२/५८) यजत्रः (पुं०) [यज+अत्र] अग्निहोत्री। पुरोहित। यजनं (नपुं०) [यज्+ल्युट्] यज्ञ, याग, पूजा, अर्चना। (जयो० ११/३१) यज्ञ भूमि, पूजास्थल। यजमान (पुं०) [यज्+शानच्] क्रतुकी, यज्ञकर्ता, आतिथेयी, संरक्षक। (जयो० १२/७२) यजिः (स्त्री०) [यज्+इनि] यज्ञकर्ता, यज्ञक्रिया। यजुस् (नपुं०) [यज्+उसि] मन्त्रपाठ। यजुर्विद् (वि०) यज्ञ ज्ञाता, यज्ञ की पद्धति जानने वाला। यजुर्वेदः (पुं०) चार वेदों में द्वितीय वेद। (दयो० २४) (जयो० २९) यजर्वेदाध्यायः (पुं०) यजुर्वेद का अध्याय। (दयो० २९) यज्ञः (पुं०) [यज् भावे नङ्] याग, मख। ०हवन। (दयो० २९) पूजा कार्य। (वीरो० २२/१६) यज्ञकर्तृ (वि०) इष्ट समागम कर्ता इष्टिमान्। (जयो० ३/१४) यज्ञकर्मन् (वि०) यज्ञकार्य वाला। यज्ञकल्प (वि०) यज्ञ की प्रकृति। यज्ञकीलकः (पुं०) यज्ञ की खूटी। यज्ञकुण्डं (नपुं०) हवनकुण्ड। (जयो०वृ० १६/८२) यज्ञकृत् (वि०) यज्ञकर्ता, अनुष्ठान करने वाला। यज्ञक्रतु (वि०) यज्ञकार्य वाला। यज्ञघ्नः (पुं०) यज्ञ में बाधा। यज्ञदक्षिणा (स्त्री०) पूजक के लिए उपहार/भेंट। यज्ञदीक्षा (स्त्री०) यज्ञ का अनुष्ठान। यज्ञद्रव्यं (नपुं०) यज्ञ की वस्तु। यज्ञपति (पुं०) यजमान, पूजन कराने वाला। यज्ञभागः (पुं०) यज्ञोपहार। यज्ञभुज् (पुं०) देव, देवता। यज्ञभूमिः (स्त्री०) यज्ञ स्थान। यागवनि। (जयो०वृ० १२/२५) यज्ञभृत् (पुं०) विष्णु। यज्ञभोक्तृ (पुं०) विष्णु। यज्ञमंत्रं (नपुं०) हवनमन्त्र, यागसूत्र। For Private and Personal Use Only

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