Book Title: Bruhad Adhyatmik Path Sangraha Author(s): Abhaykumar Devlali Publisher: Kundkundswami Swadhyaya Mandir Trust Bhind View full book textPage 9
________________ का चुनाव करना आवश्यक हो जाता है। अध्यात्मिक पद (भजन) एवं पूजन के अनेक संकलन सहज उपलब्ध होने के कारण इस संकलन में मात्र अध्यात्मिक स्तोत्र/पाठों को स्थान दिया गया है। हमारी भावना है कि प्रत्येक स्वाध्याय सभा के पूर्व १५-२० मिनिट इस कृतिमें संकलित रचनाओं का पाठ किया जाए, ताकि इसके माध्यम से आत्मार्थी जन अध्यात्म एवं वैराग्य रस का पोषण करके भावों की विशुद्धि बढ़ा सके। ____ इस संकलन की उपयोगिता का मूल्यांकन तो इसका लाभ लेने वाले आत्मार्थी बन्धु ही कर सकेंगें। यह संकलन हम सबके आत्महित में प्रबल निमित्त बनेगी। इसी विश्वास के साथ विराम लेता हूँ। पं. अभयकुमारजी देवलाली जैनदर्शनाचार्य, बी.कॉम. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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