Book Title: Bruhad Adhyatmik Path Sangraha
Author(s): Abhaykumar Devlali
Publisher: Kundkundswami Swadhyaya Mandir Trust Bhind
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[वृहद् आध्यात्मिक पाठ संग्रह सुप्रभातं जिनेन्द्रस्य वीर: कमललोचनः । येन कर्माटवी दग्धा शुक्लध्यानोग्रवह्निना ॥१५॥ सुप्रभातं सुनक्षत्रं सुकल्याणं सुमंगलम् । त्रैलोक्यहितकर्तृणां जिनानामेव शासनम् ॥१६॥
मङ्गल पञ्चक गुण रत्नभूषा विगतदूषा सौम्यभाव निशाकराः । सद्बोध भानु विभा-विभासित दिक्चया विदुषांवरा ॥ नि:सीम सौख्य समूह मण्डित योग खण्डित रतिवराः । कुर्वन्तु मङ्गलमत्र मे श्री वीरनाथ जिनेश्वराः ॥१॥ सध्यान-तीक्ष्ण-कृपाण-धारा निहतकर्मकदम्बका। देवन्द्र-वृन्द नरेन्द्रवन्द्या प्राप्तसुख-निकुरम्बका। योगीन्द्र-योग-निरूपणीया प्राप्तबोध-कलापका। कुर्वन्तु मङ्गलमत्र मे सिद्धाः सदा सुखदायकाः ॥२॥ आचार पञ्चक चरण-चारण चुञ्चवः समताधराः । नाना तपो भरहैतिहापित-कर्मिका सुखिताकरा ॥ गुप्तित्रयी परिशीलनादिविभूषिता वदतांवरा। कुर्वन्तु मङ्गलमत्र मे श्री सूरयोऽर्जित शंभरा ॥३॥ द्रव्यार्थ-भेद-विभिन्न-श्रुत भरपूर्ण तत्त्वनिभालिनो। दुर्योग-योग-निरोध-दक्षाः सकलवर-गुण शालिनः॥ कर्तव्य-देशनतत्परा: विज्ञानगौरव-शालिनाः। कुर्वन्तु मङ्गलमत्र मे गुरुदेवदीधितमालिनः ।।४।। संयमसमित्यावश्यकापरिहाणिगुप्ति-विभूषिता। पञ्चाक्षदान्ति-समुद्यता समता-सुधा-परिभूषिता ।।
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