Book Title: Bruhad Adhyatmik Path Sangraha
Author(s): Abhaykumar Devlali
Publisher: Kundkundswami Swadhyaya Mandir Trust Bhind

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ सुप्रभात स्तोत्र ] देवामरीकुसुमसन्निभ शान्तिनाथ, कुन्थो दयागुणविभूषणभूषिताङ्ग। देवाधिदेव भगवन्नरतीर्थनाथ, त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥७॥ यन्मोहमल्लमदभंजन मल्लिनाथ क्षेमंकरावितथशासनसुव्रताख्य। यत्संपदा प्रशमितो नमिनामधेय, त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥८॥ तापिच्छगुच्छरुचिरोज्जवल नेमिनाथ घोरोपसर्गविजयिन् जिनपार्श्वनाथ। स्याद्वादसूक्तिमणिदर्पण वर्द्धमान, त्वद्धयानतोस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥९॥ प्रालेयनीलहरितारुणपीतभासं । यन्मूर्तिमव्ययसुखावसथं मुनीन्द्राः। ध्यायंति सप्ततिशतं जिन वल्लभानां, त्वद्धयानतोस्तु सततं मम सुप्रभातम् ॥१०॥ सुप्रभातं सुनक्षत्रं मांगल्यं परिकीर्तितम् चतुर्विंशतितीर्थानां सुप्रभातं दिने दिने ॥११॥ सुप्रभातं सुनक्षत्रं श्रेयः प्रत्यभिनन्दितम्। देवता ऋषय: सिद्धाः सुप्रभातं दिने दिने॥१२॥ सुप्रभातं तवैकस्य वृषभस्य महात्मनः । येन प्रवर्तितं तीर्थं भव्यसत्त्वसुखावहम् ॥१३॥ सुप्रभातं जिनेन्द्राणां ज्ञानोन्मीलितचक्षुषाम्। अज्ञानतिमिरांधानां नित्यमस्तमितो रविः ॥१४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 418