Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 777
________________ परिशिष्ट १ विषय दण्ड मनोदण्ड वचन दण्ड काय दण्ड द्वेष की परम्परा धूर्तता धृति नमस्कार की निष्पत्ति नय निहा अर्था कामनापूर्ति आरोग्य-अभिरति सुकुल- जन्म जीवन दान द्रव्य नमस्कार स्त्यानद्धि निद्रा निर्जरा न्याय पदानुसारी लब्धि परिग्रह परीवह १. सुधा २. पिपासा ३ शीत ४ उष्ण ५ दंशमशक Jain Education International ७३२ कथा - संकेत कोंकणक क्षपक साधु का दृष्टांत चण्डरुद्र आचार्य धर्मरुचि अनगार और नन्द नाविक, नन्द के पांच भव ( हंस, सिंह आदि ) १ काटिक और श्रावक, २ परिव्राजक का स्वर्ण खोटक और श्रावक, ३ वणिक् पत्नी की माया, ४ लोक का मध्य ५ शकट तित्तिरी और 1 मध्यमान सत्तु, ६ त्रपुष रथनेमि श्रावकपुत्र और त्रिदंडी कृष्ण सर्प और पुष्पमाला मातुलिंग बन गणिका और चंडपिंगल इंडिक यक्ष जितशत्रु और दमक १ प्रस्थक का दृष्टांत, २ वसति का दृष्टान्त, ३ प्रदेश का दृष्टांत १ पौद्गल (मांस), २ मोदक, ३ हाथी दांत, ४ कुम्भकार, ५ वटशाखा योगवहन- दक्ष महिला दो माता, एक पुत्र विद्याधर और अभयकुमार धन का कूप हस्तिमित्र और हस्तिभूति धनमित्र और धनशर्मा भद्रवाह के चार शिष्य अर्हक मुनि धर्मघोष और भ्रमण भद्र संदर्भ आवच् २ पृ ७७, ७८. हा ५८, ५९ सु २५१, २५२ आव १ पृ ५१६,५१७. हा २५९,२६०. म ४९९ अचू २७, २८. जि ५४-६०. हा ५५-६१ कथा-संकेत आवनि १०१२ चू १. पृ ५८९-५९१. हा ३०१-३०३. म ५५४,५५५ आवचू १ पृ ५०३. हा २५२. म ४५६, ४८७ अनु ५५४-५५७. चू ७६-७७. हा १०५-१०८ विभा २३५. म ११७, ११५ भोनि ४९४-४९८ आवचू २ पृ १०. हा ८,९. म ६०० विभा ८६४. म ३५० उच् ११०, १११. शा २०६, २०७. सु ८०, ८१ For Private & Personal Use Only उनि ८९-१४१ च ५३-९०. शा ८५-१३९. सु१-५५ www.jainelibrary.org

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