Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 775
________________ परिशिष्ट १ ७३० कथा-संकेत विषय द्रव्य पूति प्रादुष्करण क्रीत प्रामित्य परिवर्तित अभ्याहृत उद्भिन्न मालापहृत आच्छेद्य अनिसृष्ट उत्पादन के दोष धात्रीपिण्ड कथा-संकेत यक्षसभा का उपलेपन तीन साधु देवशर्मा सम्मत मुनि की भगिनी क्षेमंकर और लक्ष्मी धनावह आदि श्रावक यक्षदत्त और वसुमती सुरदत्त और वसुंधरा वत्सराज और जिनदास बत्तीस मोदक संदर्भ पिनि २४५,२४६ पिनि २९२-२९७ पिनि ३१०,३११ पिनि ३१७-३१९ पिनि ३२४-३२६ पिनि ३३७-३४० पिनि ३५९,३६० पिनि ३६२ पिनि ३६८,३६९ पिनि ३७८-३८१ दूती निमित्त क्रोध पिण्ड मान पिण्ड माया पिण्ड लोभ पिण्ड विद्या मंत्र चूर्ण संगमसूरि और दत्त शिष्य धनदत्त और देवकी भोजक कथा तपस्वी मुनि और ब्राह्मण क्षुल्लक का दृष्टांत मुनि आषाढ मुनि सुव्रत धनदेव और श्रमण पादलिप्तसूरि चाणक्य और क्षुल्लकद्वय समित सूरि १ सुंदरी और मुनि २ शृंगारमति और मुनि पिनि ४२७ पिनि ४३३,४३४ पिनि ४३६ पिनि ४६४ पिनि ४६५ पिनि ४७४-४८० पिनि ४८२,४८३ पिनि ४९५,४९६ पिनि ४९८ पिनि ५००.भा ४४-४६ पिनि ५०३-५०५ पिनि ५०६,५०७, ५१०,५११ योग मूलकर्म एषणा के दोष द्रव्यषणा दायक वानरयूथ और यूथाधिपति बालिका और मुनि मधुबिन्दु का दृष्टान्त पिनि ५१७-५१९ पिनि ५७९ । ओभा २४१ पिनि ६२८ छदित कथा अर्थ कथा काम कथा १ ब्रह्मदत्त आदि चार मित्र दनि ९४. अचू ५४,५५. जि १०३-१०५. २ गीदड़ की राजनीति हा १०७-१०९ १ विरूपा स्त्री २ अचल और मूलदेव १ चोरों द्वारा सैंध लगाना उ ४३. चू १११-११३. शा २०७-२०९. २ आभीरी और वंचक वणिक सु ८१, ८२ कर्मफल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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