Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 782
________________ कथा-संकेत ७३७ परिशिष्ट १ रसगृद्धि विषय कथा-संकेत संदर्भ २६ अप्रमाद जरासंध राजा, मगधसुंदरी और मगधश्री गणिका २७ लवालव भृगुकच्छ में विजय शिष्य .२८ ध्यानसंवरयोग आचार्य पुष्पभूति और शिष्य पुष्यमित्र २९ मारणांतिक धर्मरुचि अनगार वेदना अधिसहन ३० संगपरिज्ञा जिनदेव श्रावक ३१ प्रायश्चित्तकरण आचार्य धनगुप्त ३२ मारणांतिक मरुदेवा आराधना उरभ्र उ ७।१-४. नि २४९. चू १५८,१५९, शा २७२, २७३. सु ११६,११७ रस-विवर्जन उदायन राजा आवनि ११८५. चू २ पृ ३६. हा ३२ राग अर्हन्नक और अर्हन्मित्र आवचू १ पृ ५१४,५१५. हा २५९. म ४९८ रौद्रध्यान राजगृह का द्रमक उचू १३८. शा २५१. सु १०७ । लेश्या १ जम्बू खादक २ ग्रामवधक आव २ पृ ११३. हा १०३, १०४ लोभ १ वंजुल वृक्ष और वानर विभा ८६३. म ३४९, ३५० २ रुपयों की नौली अ २१. जि ४०,४१. हा ३५ लोभविजय कपिल मुनि उनि २५३-२५९. च १६८-१७०. शा २८६ २८९. सु १२४,१२५ वन्दना १ द्रव्य वंदना राजकुमार शीतल और उसके चार आवनि ११०४. चू २ पृ१४-१९. हा १५-१७ भाव वंदना भतीजे २ द्रव्य चिति क्षुल्लक मुनि ' भाव चिति ३ द्रव्य कृतिकर्म वासुदेव कृष्ण और वीरक भाव कृतिकर्म ४ द्रव्य पूजा १ दो सेवकों का परस्पर संघर्ष भाव पूजा २ वासुदेव और उनका पुत्र पालक वर्गणा गायों की कुविकर्ण गृहपति का दृष्टांत विभा ६३२ । आव १ पृ ४४,४५. हा २३ वाणी का प्रभाव किढी दासी आवनि ५७८. च १ पृ ३३१. हा १५८. म ३०८ विनय राजपुत्र मुनिविजय विभाम ३७४,३७५ विभूषा सती-असती का दृष्टांत ओनि ४०४. व १४६ विविक्तचर्या समुद्रपाल उ २१११-१०,२२-२४. नि ४२५-४३५. चू २६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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