Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 801
________________ परिशिष्ट २ ७५६ दार्शनिक और तात्त्विक चर्चास्थल विषय ओघनियुक्ति संदर्भ आयतन-अनायतन नि ७६३-७८४. व २२२-२२४ आलोचना विधि नि ५१३-५२०. वृ १७५-१७८ उपधि (वस्त्र, पात्र आदि) नि ६६५-६८४. वृ २०७-२१० कालप्रतिलेखना विधि नि ६३८-६६३. वृ २००-२०७ पात्र आदि के लक्षण-अलक्षण और प्रमाण नि ६८५-७४६. व २११-२१९ पात्रलेपन की उपयोगिता नि ३७१-४०६. वृ १२९-१३५ पारिष्ठापनिका विधि नि ५९४-६२२. भा ३०३-३०८. वृ १९२-१९८ प्रतिलेखना उपकरण प्रतिलेखना नि २६४-२७९. वृ १०८-११३ पात्र प्रतिलेखना नि २८७-२९५. वृ ११६-११९ स्थण्डिल प्रतिलेखना नि २९६-३२३. व ११९-१२६ भिक्षाचर्या : काल, गवेषणा विधि, एकाकी नि ४११-४३१. भा २१३-२३१. वृ १४७-१५५ भिक्षाटन का निषेध रोगचिकित्सा : मिट्री, सीपी आदि के द्वारा रोग नि ३३५-३७०. वृ १२९-१३५ अपनयन आदि वस्त्रप्रक्षालन : विधि-निषेध नि ३४७-३५६. वृ १३१,१३२ विहारविधि नि १३-४९. वृ २३-३६ ० गीतार्थ-विहार और क्षेत्रप्रत्युपेक्षण नि ११९-१४९. व ६०-६८ ० ग्रामप्रवेश नि १५६-२०१ नि ६८-८३. व ४०-४७ स्थापनाकुल भा १२२-१४५. वृ ९५-१०० सन्दर्भ विवरणनि-ओघनियुक्ति गाथा। भा-भाष्य गाथा । व-द्रोणीया वृत्ति पत्र । वैयावृत्त्य पिण्डनियुक्ति नि १७९-१८२ नि ६९-७१ नि ४०३-५१३. वृ १२०-१४५ अतिक्रम, व्यतिक्रम".. आहार शुद्धि : मोक्ष का परंपर कारण उत्पाद दोष उद्गम दोष ० आधाकर्म ० औद्देशिक ० पूतिकर्म मिश्र आदि नि ९४-२१७. वृ ३५-७६ नि २१८-२४२ नि २४३-२६८ नि २७१-३९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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