Book Title: Bhikkhu Drushtant
Author(s): Jayacharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva harati

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ अंतस्तोष लंबे समय से मेरे मन में यह कल्पना थी कि तेरापन्थ के राजस्थानी वाङ्मय का आधुनिक पद्धति से संपादन हो। यह कल्पना साकार हो रही है। कल्पना जब आकार लेती है, तब अंतस्तोष अनिर्वचनीय हो जाता है। इस अनिर्वचनीयता की अनुभूति में मैं उन सबको सहभागी बनाना चाहता हूं, जिन्होंने इस कल्पना को आकार देने में अपने अध्यवसाय का नियोजन किया है। ग्रन्थमाला सम्पादन : आचार्य महाप्रज्ञ सम्पादन : मुनि मधुकर मुनि मोहन, आमेट मुनि महेन्द्र पुरोवाक् : श्रीचन्दजी रामपुरिया - गणाधिपति तुलसी २२.५.९४ अध्यात्म साधना केन्द्र महरोली, दिल्ली

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 354