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प्रकाशकीय निवेदन
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प्रस्तुत ग्रन्थरत्न के प्रणेता परम पूज्य गणिवर्य श्री. धीरशेखरविजय महाराज साहब का हम सवन्दन आभार मानते हैं। आपके अथक, अविरत, अविरल, एवं सतत परिश्रम के फलस्वरूप ही हम इस ग्रन्थरत्न को पाठकों के करकमलों में समर्पित करने में सक्षम रहे हैं ।
मुद्रण करने में संस्था के निजी ज्ञानोदय प्रिन्टिंग प्रेस के मेनेजर श्रीयुत शंकरदास एवं उनके अन्य कर्मचारी गण भी धन्यवाद के पात्र हैं। ____ इसके अतिरिक्त जिस किसी ने भी जिस किसी भी तरह से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से ग्रन्थ-प्रकाशन में सहायता की हो, उन सभी महानुभावों के प्रति हम अपना हार्दिक आभार प्रदर्शित करते हैं ।
द्रव्यसहायक-शा. भबुतमलजो फुलचन्दजो के सुपुत्र अचलदास, पौत्र मीठालाल, अमृतलाल, सागरमल,रमेशकुमार,जोगातर परिवार (पिंडवाडा निवासी) ने श्रुतभक्ति से अनुप्रेरित एवं अनुप्राणित होकर इस ग्रन्थरत्न के मुद्रण में द्रव्यराशि के सम्यक सहयोग से यथोचित योगदान किया है, अत: हम इनके प्रति ऋणी एवं आभारी हैं।
नजदीक भविष्य में और प्रकाशन की आशा में