Book Title: Bhavisayatta Kaha
Author(s): Kavi Dhanpal, C D Dalal
Publisher: Baroda Central Library
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101
" न एणवि
पवर
" चरियहि
III 5 गरुयदुक्खंतरि for गरुयदुत्तंतरि, un- | XXII 1 मंकुणमच्चइ for मं कुण मच्चइ
less griat is Sk. gera 4 एहावत्थ कुमारिहु ,, एहावत्थकुमारिए IX 4 तहवि हु , तहविहु
दीवंतरि नारिहु , दीवंतरनारिहु 5 सुहमंगलजणजणियायल्लहो , मुहमंगल- 6 सुअइहिं , सुवइहिं जण जणियायल्लहो
SANDHI X 8 पियसंदरिमहएविसणाहहो ,, पियउंदरि मह
I 8 तुक्खारतुरङ्गम , तुक्खार तुरङ्गम एवि सणाहो
13 इय एमाइ , इयएमाइ 11 नएण वि
III 8 पउरकम्मसंखेव्वउ
" पउरकम्म संखेव्वउ x2 पइसारवारु ,पइ सारवारु
V9 काउरिसहिं काउरिस 7 इकारउ , हुकारउ -
VI 1 पउरु 10 महल्ल कह , महल्लह, which
3 अणुठ्ठि(?)
अणिहि lacks one syllable and is
VII 6 लजई
लज्जा metrically faulty.
11 मंभीसिवि
मं भीसिवि XI 5 तेहिं (2) , ताहिं
VIII7 जणवइ लजणउं , जणवइलजण 6 वहु आरिय , वहुआरिय
8 पियरतुल्ल
, पयरितुल्लु 9 भय-भीसइ , भय भीसइ
X2 कमलहि तण कमलहिंतण XII 9 सहि कन्नन्तरि , महिकन्नन्तरि
X6 सियतारहार सियहारतार XIII2 सविणयाए सविसिठ्ठल , सविणयाएसवि-| x 4 चरियइं
सिठ्ठल
XI 4 पउरपमुहं , पउरुपमुहूं XIV 10 समसज्झसिहूअ , समसज्झसि हुअ. XIII 1 पउरु पमुहुँ , परपमुहूं XV 4 Add er in the beginning of 2 कुरुजंगलि वि पहाण , कुठजंगलि वि. the latter half; हा मट्ठ पुत्त etc.
पहागडं Metre requires it.
4 पुरपउरहो , पुर पउरहो 13 गहिल्लीहुई , गहिल्ली हुई.
5 तिभायविहि (हत्तउ ,, विभायहि हुत्तर 14 समच्छरहं , समच्छरहो
The emendation adopted is XVI 2 रयणु पजलंतउ , रयणुपजलंतउ
the reading of B with a 7 उव्वहिउ अंगउ , उबहिअ अंगड
slight change. It suits the XVII 4 कंबुकंठ कंदलिए , कंबु कंठकंदलिए
context and sense admirably, XVIII 1 तजा , नजइ
XIV 3 संमिलिउ , संगिलिउ 6 संचल्ल
संचल्लि 7 थिय मंथर चिर लील,, थियमंथरचिरलील
संवरि अविहायउ , संवरिअविहायउ XIX7 वि संकिउ ,वि आसंकिउ Me
XV 11 समासिएण , समासि एण tre requires one syllable less. | XVI 10 मि च्छित्त पय रायहो,, मिच्छित्तपरायहो XX 2 समिद्धि ,, समृदि.
which is metrically lacking XX 3 कडक्खपक्खविक्खेविं, कडक्खु पक्खु
in one syllable and hope. विक्खेविं
lessly confused on account 9 पणिवायउ , पणवाइड
of bad joining of words. XXI 3 वहुअ नवल्लाहरणिं ,, वहु अनवल्लाहरणिं | XVII 11 दुप्पवंचि , दुप्पवंसि 12 उभं खरिज
उभंखरिज
| XVIII 9 देव जणगारिय , देहजणिगारिय

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