________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
VIII. लेखन-सामग्री, पुस्तकालय और लिपिक
37 लेखन सामग्री 490 अ. भूर्ज - पत्र ( भोज पत्र )
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भूर्जपत्र भूर्ज नामक वृक्ष की भीतरी छाल है जो हिमालय में बहुतायत से होता है । क्यू. कर्टिस ने इशारा किया है (दे. अन्यत्र पृष्ठ 12 ) कि यह सिकंदर के हमले के समय हिंदुओं द्वारा लेखन सामग्री के रूप में इस्तेमाल में आता था । बाद में उत्तरी बौद्ध और ब्राह्मणों के संस्कृत ग्रंथों में इसके लेखन सामग्री के रूप में इस्तेमाल का अक्सर वर्णन आता है । 192 इसे तो लेखन नाम भी दे दिया गया था । इस पर लिखे प्रलेखों को भूर्ज कहा गया है। बेरूनी का कहना है कि 192 भारतीय उसके प्रायः एक गज लंबे और एक बालिश्त चौड़े पत्रे लेते हैं और उसे भिन्न-भिन्न प्रकार से तैयार करते हैं । उनको मजबूत और चिकना बनाने के लिए वे उन पर तेल लगाते हैं और उसे घोटते हैं। मुगल काल में कागज के रूप में जब लिखने के लिए इससे अच्छी सामग्री हाथ में आ गयी तो कश्मीर में भूर्ज - पत्र तैयार करने की कला लुप्त हो गयी । 493 किंतु अब भी कश्मीरी पंडितों के पुस्तकालयों में भोजपत्र पर लिखी पोथियां बड़ी संख्या में मिलती हैं । भाऊ दाजी ने मुझे बतलाया था कि भोजपत्र पर लिखी पुस्तकें उड़ीसा में भी मिलती हैं और भोज-पत्र पर लिखे ताबीज तो हिंदुस्तान भर में मिलते हैं । 494 इसमें कोई शक नहीं कि भोज-पत्र का प्रयोग सबसे पहले उत्तर-पश्चिम में शुरू हुआ, किंतु
490. मिला. ब., ए. सा. इं. पै. 84-93; गाऊ के पेपर्स रिलेटि टु दि कलेक्शन ऐंड प्रिजर्वेशन आफ ऐंशियंट संस्कृत मनुस्क्रिप्ट्स, पृ. 15 में राजेन्द्रलाल मित्र के विचार; Führer Zeitschrift f. Bibliothekswesen, I, 429, II, 41. 491. ब्यो. रो. व्यो. भूर्ज के अंतर्गत ।
492 इंडिया, I, 171 ( सचाऊ ), विवरण खोतन के खरोष्ठी धम्मपद पर फिट बैठता है ।
493. कश्मीर रिपोर्ट, ज. बा. ब्रा. रा. ए. सो. XII, परिशिष्ट, 29 494. राजेन्द्रलाल मित्र, गाफ के पेपर्स, 17;
टिप्पणी 2.
190
For Private and Personal Use Only
कश्मीर रिपोर्ट, 29,