Book Title: Bharatiya Puralipi Shastra
Author(s): George Buhler, Mangalnath Sinh
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 212
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९४ भारतीय पुरालिपि-शास्त्र भी मित्र महाशय के कथन की पुष्टि होती है। इनकी लंबाई एक से तीन फुट और चौड़ाई चार इंच से सवा फुट तक होती है।505 इसके विरुद्ध बर्नेल 50% का कथन है कि दक्षिण भारत वाले ताड़पत्रों की तैयारी में इतना परिश्रम नहीं करते । कभी-कभी तो वे पत्रों की काट-छाँट भी नहीं करते । किंतु मुझे दक्षिण भारत के जितने हस्तलिखित ग्रंथ देखने को मिले हैं उनसे बर्नेल की यह अंतिम बात सही नहीं मालूम पड़ती। हाँ, क्लर्क और व्यापारी अपने दफ्तरों या चिट्टियों में जैसे पत्ते इस्तेमाल करते थे उससे तो बर्नेल की बात की ही पुष्टि होती है। होरियूज़ि की हस्तलिखित प्रति और गाडफे संग्रह के पत्रे तथा नेपाल बंगाल, राजस्थान, गुजरात और उत्तरी डेक्कन से प्राप्त 9वीं और उसके बाद की शतियों के हजारों हस्तलिखित ग्रंथों से सिद्ध है कि ताड़पत्रों पर अत्यंत प्राचीन काल से सारे उत्तरी, पूर्वी मध्य, और पश्चिमी भारत में रोशनाई से लिखते थे । जब से कागज का प्रयोग होने लगा है बंगाल में चंडीपाठ को छोड़ कर अब कहीं और ताड़पत्रों पर नहीं लिखते।07 द्रविड़ देश और उड़ीसा में चिट्ठियां स्टाइलस से खोदी जाती थीं और फिर कालिख या लकड़ी के कोयले से उन्हें काला कर देते थे। आज तक यही प्रक्रिया काम में लायी जाती है। दक्षिण में जो सबसे प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ मिला है वह बर्नेल के मत से 1-128 ई. का है।508 ताड़पत्रों पर लिखे ग्रंथों में पत्रों के बीचों-बीच छेद कर देते थे। कभी-कभी बाईं ओर भी छेद करते थे। काशगर से ऐसे नमूने मिले हैं। कभी-कभी एक छेद बाएं और एक छेद दाएं भी मिलते हैं। पत्रों के छेदों में एक सूत्र या शरयंत्रक 00 डाल कर इन्हें बांध देते थे। दक्षिण भारत में चिट्ठी-पत्रियों, निजी या सरकारी प्रलेखों और स्थानीय स्कूलों में पहले की तरह आज भी ताड़पत्रों का प्रयोग होता है। बंगाल में भी 505. देखि. गाफ के पेपर्स, 102, और कीलहर्न की रिपोर्ट फार 188081, और पीटरसन्स की तीसरी रिपोर्ट के माप । 506. ब. ए. सा. इं. पै. 86. 507. राजेन्द्रलाल के विचार गाफ के पेपर्स पृ. 102 पर । 508. ब. ए. सा. इं. पै. 87; आगे के अनुसंधानों से शायद सिद्ध हो जायेगा कि इससे पुरानी हस्तलिखित पुस्तकें वर्तमान है । 509. वासवदत्ता, 250 (हाल) । 194 For Private and Personal Use Only

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