Book Title: Bhaktamar Katha
Author(s): Udaylal Kasliwal
Publisher: Jain Sahitya Prasarak karyalay
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तुभ्यं नमःक्षितितलामत भूषएगाय। ॐ हीं श्रीं ली हूं हूँ
मंमंमं
॥यंत्र२६॥
श्रीश्रीश्रीश्री/
पंमं
.. तुभ्यं नमरिन भुवनातिहरायनाथ
नहींअहमोदित्तवाएगर्कनमो ka
श्रीं श्रीं श्रीं
वि विं
विवि विवि परजनशांति व्यवहारे तुभ्यनमारनजगतः परमश्वराय .
ययययं.
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ययं यं
जयं कुरु कुरु स्वाहा। तुभ्यं नमो जिनभवोद्धिशोषएगाय २६
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