Book Title: Bhaktamar Katha
Author(s): Udaylal Kasliwal
Publisher: Jain Sahitya Prasarak karyalay
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॥ यंत्र ३४ ॥
शुम्भत्प्रभावलयभूरिविभा विभोस्ते
नहीं एमी रिख लो सहि पत्ता ।
फं फं फं फं फं
दीया जयत्यपि निशामपि सोमसौम्याम् ३४
नमो नमः स्वाहा। 15 फं फं फं
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ॐ नमो हीं श्रीं क्लीं ऐं ह्य लोकत्रयद्युतिमतां द्युतिमाक्षिपन्ती।
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