Book Title: Bhaktamar Katha
Author(s): Udaylal Kasliwal
Publisher: Jain Sahitya Prasarak karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 186
________________ ॥ यंत्र ४॥ 22 रक्तेक्षां समदकोकिलकण्ठनीलं भले ही अहीमो वीर सयी ऊनमो. (हाहाहा-हाहा हृदि यस्य पुंसः४१ द देहि मनोवांछितंकुरु कुरु स्वाहा।। स्त्वन्नामनागमनी -हीनमः नहींआदिदेवाय श्री श्री श्रृंजलदेविकमले क्रोधीद्धतं फणिनमुत्फएरामापतन्तम्। कालांकींकींकी) ग्लोग्लोग्लोग्लोग्ले) u TCUR - । पद्महृदनिवासिनीपद्मोपरिसंस्थितेसिद्धि _आक्रामति क्रमयुगेन निरस्तशङ्क ARE V HOME

Loading...

Page Navigation
1 ... 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194