Book Title: Bhaktamar Katha
Author(s): Udaylal Kasliwal
Publisher: Jain Sahitya Prasarak karyalay

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Page 169
________________ 12 ज्ञानस्वरूपममतं प्रवदन्ति सन्तः २४ माएास्वामी सर्वहितं कुरु २ स्वाहा + + हां हीं हूं- हा असित्र्मानुसा स्वाहा: नमः योगीश्वरं विदितयोगमनेकमेकं मामिताय ये दृष्टिविषयान्मुनीन्तेवड + ་ की -हीं - ही एमोदिद्विबिसाएगं स्थावर विभुमचिन्त्यमसंख्यमाद्यं ॥ यंत्र २४ ॥ त्वामव्ययं जंगमचायकृतिमं सकस विषयद्भक्तेः अ ब्रह्माएामीश्वरमनन्तमनङ्ग केलुम्

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