Book Title: Bhagavana Mahavira ki Suktiya
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 13
________________ मंगल साधु साध्वी श्रावक श्राविका रूप तीर्थ की स्थापना करने वाले तीर्थकर को नमस्कार हो। । शान्तिनाथ इस लोक में शान्ति करने वाले है। प्रभु महावीर अभय देने वाले है और अनन्त चक्षु वाले है । निर्वाण वादियो मे जात पुत्र महावीर स्वामी पर्व श्रेष्ठ है। लोक मे सर्वोत्तम श्रमण ज्ञातपुत्र महावीर है । ऋषियो मे सर्वश्रेष्ठ महावीर वर्द्धमान है। अखण्ड चारित्र रूप प्राकार (कोट) वाले मे श्री सघ रूप नगर । तुम्हारा कल्याण हो । मगल हो । अरिहन्तो को नमस्कार

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