Book Title: Avashyak Sutram Part 02
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 14
________________ आवश्यक श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-२ // 4 // निर्युक्तेर्विषयानुक्रमः विषयः भाष्य: नियुक्तिः पृष्ठः / क्रमः (8) विरतिनिरुक्तयः, दमदन्ताद्याः (8) दृष्टान्ताः / - 861-865 639-640 0.3.7.19 मुनित्वस्वरूपम्। 151 866-868 642 0.3.7.20 मेतार्यस्तुतिः। - 869-870 648 0.3.7.21 कालिकाचार्यस्तुतिः। - 871 6650 0.3.7.22 चिलातीपुत्रस्तुतिः। - 872-875 653 | 0.5.3 0.3.7.23 लक्षश्लोकसोपः,धर्मरुचिरनाकुट्याम्, इलापुत्रः परिज्ञायांप्रत्याख्याने तेतलिः। - 876-879 653-657 सूत्रस्पर्शिकनियुक्ति:सूत्रस्वरूपम्। - 880-886 658-661 / 0.5.4 सूत्रस्वरूपं-दोषाः 0.5.5 गुणा: (8-6) / - 880-886 658-661 नमस्कारव्याख्याः / - 887-1026 662-821 नमस्कारे उत्पत्तिनिक्षेपपदपदार्थप्ररूपणावस्त्वाक्षेपप्रसिद्धिक्रमप्रयोजनफलानि (11) / - 887 662 आदिनैगमेऽनुत्पन्नः शेषाणां विषयः भाष्यः नियुक्तिः पृष्ठः | समुत्थानवाचनालब्धित उत्पन्नः, ऋज्वानाद्यं, शेषा लब्धि मन्वते, निह्नवादि द्रव्ये (द्रमकदृष्टान्तः) नैपातिकात् द्रव्यभावसङ्कोचः। - 888-890663-665 किं कस्य केन कियच्चिरं कतिविधमिति षट्पदाः, सत्पदाद्यैर्गतीन्द्रियादिषु नवपदाः, आरोपणाभजनापृच्छादापनानिर्यापनाभिः पञ्चविधा प्ररूपणा। - 891-902 667-673 मार्गाद्या नमस्कारहेतवः / - 903-905 674-675 महासार्थवाहत्वादि, दृष्टान्ताः / सविशेषाः, रागद्वेषकषायेन्द्रियाणि (सदृष्टान्तानि) कषायनिक्षेपा: (8) (षण्णयमार्गणा च) परीसहोपसर्गाः (श्लोका दृष्टान्तानि च) अर्हच्छब्दनिरुक्तिः, तन्नमस्कारफलम्। - 906-926 675-716

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