Book Title: Avashyak Sutram Part 01
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 14
________________ क्रमः विषयः भाष्यः नियुक्तिः पृष्ठः / क्रमः विषयः भाष्यः नियुक्तिः श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारिक वृत्तियुतम् भाग-१ // 4 // आवश्यकनिर्युक्तेर्विषयानुक्रमः (द्रव्यपरम्परदृष्टान्तः)। - 110 / | 0.2.14 कोटाकोट्यन्तरानियुक्तिस्वरूपम्। 119 ऽन्यतरलाभः। - 105-106 130 0.2.5 गणधरकृता सूत्ररचना सामायिकलाभे तत्प्रयोजनं च। 89-92 119-122 पल्यादिदृष्टान्ताः (1) / - 107 133 श्रुतज्ञानं तत्सारच, तत्सारो प्रथमादिकषायाणामुदये। निर्वाणम्। सम्यक्त्वादेरलाभलाभौ। - 108-111137-139 नासंयमिनः श्रुतान्मोक्षः, 0.2.17 संज्वलनोदयेऽतिचाराः, वायुहीनपोतवत् / - 94-96 123-124 | शेषेषु छेदः, द्वादशक्षयादिअचरणो ब्रुडति। - 97 तश्चारित्रम् / - 112-113 140 अन्धस्य दीपकोटिवदचरणस्य मुधा 0.2.18 चारित्रभेदाः (५)(कल्पाः 10, श्रुतं- चक्षुष्मतो दीपवत्सचरणस्य परिहारविशुद्धितपः)। - 114-115140-141 सफलम्। - 98-99 125 / 0.2.19 उपशमश्रेणिः / 2.10 चन्दनगर्दभवदचरणो ज्ञानी / - 100 125 / 0.2.20 सूक्ष्मसंपरायस्वरूपं कषायमहिमा, 0.2.11 एकैकेन विना हते ते पवन्धवत्, ऋणादिदृष्टान्ताः, संयोगेन फलम्। - 101-102126-127 तेष्वविश्वासिता। - 117-120147-148 मोक्षे ज्ञानतप:संयमव्यापाराः।- 103 128 0.2.21 क्षपकक्षेणिः, मध्यक्षेयाः द्विचरमे 2.13 श्रुतं क्षयोपशमे, निद्राद्याः (27), चरमे / क्षये कैवल्यज्ञानम्। - 104 129 ज्ञानावरणाद्याः। - 121-126148-151 88888888888888888888888888888 // 4 //

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