Book Title: Avashyak Sutram Part 01
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 19
________________ कम श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-१ // 9 // आवश्यकनिर्यक्तेर्विषयानुक्रमः विषयः भाष्य: नियुक्तिः पृष्ठः / क्रमः विषयः भाष्यः नियुक्ति: पृष्ठः प्रशंसा, मदश्च / - 422-432290-292 द्वाराणि / - 458 309 अष्टापदे गमन-दशसाहस्या 0.3.2.65 सांवत्सरिकदानादि, लोकान्तिकबोधादि, मोक्षः। - 433-434 292 दीक्षापरिणामे निरन्तर देवसंचारः,चन्द्रप्रभाशिबिका 0.3.2.58 निर्वाणं-चिता, सक्थीनि, स्तूपाः, तत्प्रमाणवर्णन- अलङ्कारः, षष्ठभक्तंयाचकाः, आहिताग्नयः / - 435 लेश्याशुद्धिः, इन्द्रचामरवीजन-शिबिकोत्पाटनं३.२.५९ आदर्शगृह-मुद्रिकापातः, ज्ञानं पुष्पवृष्टिः, गगनतलशोभाः, वाजित्राणि दीक्षा च भरतस्य / 45 436 294 ज्ञातखण्डवनागमः लोचः, केशानां क्षीरोदधिनयनं३.२.६० मरीचेदुर्वचनं-तत्फलं-ब्रह्मदेवलोकः तूष्णी-कता, व्रत,मन:पर्यायः, मुहूर्ताशेषे कपिलः, षष्टितन्त्रम् / - 437-439296-297 कूर्मारग्रामगमनम्। 46-80459-460309-318 3.2.61 कौशिकः, पुष्पमित्रः, सौधर्मे, 0.3.2.66 इन्द्रागमः, पारणं-अभिग्रहाः (5) अग्निद्योतः, ईशाने, अग्निभूतिः, सनत्कुमारे, शूलपाणिः, वेदना:,स्वप्नाः, अच्छन्दकश्व, भारद्वाजः, माहेन्द्र, स्थावरः, ब्रह्मलोके, शूलपाण्युपसर्गाः। 81-111461-464318-336 विश्वभूतिः, निदानं-महाशुक्रे, त्रिपृष्ठः सप्तम्यां- 0.3.2.67 अङ्गुलीच्छेदश्चौर्यादि, प्रियमित्रः, महाशुक्रे, नन्दनः, पुष्पोत्तरे। कण्टके वस्त्रं च। 112-114 465-4663 (अन्तराऽन्तरा संसारश्च)। - 440-450297-308/0.3.2.68 चण्डकौशिकः, उत्तरवाचालायां 0.3.2.62 विंशतिस्थानकादीनि / - 451-456 308 पारणं नैयकराजवन्दनं-कम्बलशम्बल०.३.२.६३ देवानन्दाकुक्षाववतारः। - 309 भक्तिर्गङ्गायाम्। - 467-471342-345 0.3.2.64 स्वप्नापहाराभिग्रहादीनि | 0.3.2.69 सामुद्रिकः पुष्यो, गोशालः, विजयानन्दसुनन्दैः

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