Book Title: Avashyak Niryukti Part 01
Author(s): Punyakirtivijay
Publisher: Sanmarg Prakashan
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आवश्यकनियुक्तिः श्रीतिलकाचार्यलघुवृत्तिः
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आ.नि.
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टीण्टोइमण्डनश्रीमुहरीपार्श्वनाथाय नमः
नमो नमः श्रीगुरुरामचन्द्रसूरये चान्द्रगच्छीयश्रीशिवप्रभसूरिशिष्यश्रीतिलकाचार्यविरचितलघुवृत्तिसमन्विता
आवश्यकनियुक्तिः
प्रथमो विभागः
ॐ नमः श्रीपञ्चपरमेष्ठिभ्यः ।। देव: श्रीनाभिसूनुर्जनयतु स शिवान्यंसदेशे यदीये, खेलन्ती कुन्तलाली विलसदलिकुलप्रोज्ज्वला शालते स्म । सञ्जाते संयमश्रीपरिणयनविधौ माङ्गलिक्ये त्रिलोकी-लक्ष्म्या दुर्वाङ्कराणां ततिरिव पतितोदस्तहस्तद्वयाग्रात् ।।१।। विश्वाहङ्कारमर्दी समितिकृतरतिश्चक्रचापाङ्कपाणिः, प्रोद्यद्गीर्वाणशाली व्यपहृतविषमास्त्रारिदोर्दण्डकण्डूः ।
भक्तिप्राग्भारनम्रक्षितिपतिपटलीमौलिकोटीरकोटी-शाणाकोणाग्रलेखोल्लिखितनखशिखः पातु वीरस्त्रिलोकीम् ।।२।। *१. शोणा - ल, ख प ।
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