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આ માનદ પ્રકામ
हापाक सेठ को अपने घर में देखा । वह असली हापाक सेठ की दुदशा देखकर विचार करने लगा, "किसी धूर्त ने मेरे घरको धूर्तहापाक का दिल करूणा से भर गया और लूट लिया है। मुझे तो इम में प्रवेश भी राजासे कहने लगा, "हे कृपालु राजन ! मैं नहीं मिल रहा, अपने घर में ही मुझे चोर कुछ कहना चाहता।" राजाने कहा. समझा जाता हैं । मैं अपना दुःख किस क “अगर तुम्हारा कोई दण्ड भी होगा तो तुम्हें आगे कहु ?" इस प्रकार विचार मग्न होते हुए क्षमा कर दिया जाएगा। मत्य बोलिए।" उमने कुछ फल आदि लेकर राजा के पास तब इतने कहा, 'देव ! यह सेठ सच्चा है जाने का निश्चय किया । राजा के पास में ही धन ह। तब धूत ने सब वृत्तान्त जाने पर राजाने उसका कुशलक्षम पूछा तथा राजा से कहा। तब धूत ने सब कुछ असली संटने अपनी अमभ्या राजा के मन्मुख रखी । सेठ को देते हुए कहा :
राजा न्यायप्रिय एवं धर्मनिष्ट था। राजाने दातव्यं भोक्तव्यं. अपने सिपाहियों को भेजकर बनावटी हापाक
सति विभवे सञ्चयो न कर्तव्यः । सठ, द्वारपाल आदि घर के लोगों को बुलाया।
यदि सञ्चयं करिष्यमि, बनावटी सेट रत्न, मणि, स्वर्ण तथा आभूपणों
___ हापा ! पुनरागमिष्यामि ॥ से बाल भरकर राजो को भेट देने के लिये ले गया। जब दोनों सेट राजा के पास पहुंच
__ अर्थात अगर धन हो तो दान दना चाहिये, गये तो राजा भी विस्मित हो गया कि न्याय धन को खर्च करना चाहिये परन्तु धन का कैसे करे ? मंत्रियों से विचार कर हापाक सेठ
सञ्चय नहीं करना चाहिये । यदि सञ्चय करोगे की दोनों पत्नियों को भी राजदरवार में बुलाया
तो मैं हापा फिर आ जाऊगा। फिर बनावटी
हापा अपने स्थान पर चला गया। गया।
गजाने अपना न्याय सनाते हुए कहा फिर विमलमती ने वामन और श्रीमती को मन्दरियो ! मैं नहीं जानता कि कौनसा सम्बोधन करते हुए कहा, "में अपनी परि. सेट सच्चा है? में न्याय आप पर छोड़ता स्थिति सेट की पत्नियों के सहा नहीं बनना हैं। जो भी इन में मच्चा सेठ है उसकी चाहती।" जिनदत्त रूप वामन अपनी पत्नियों बाहों में चले जाओ। इम का पुण्यपाप आप की शौल में दृढ़ता देखकर प्रसन्न हुआ। पर होगा। में इस सम्बन्ध में निष्कलंक ह।" राजा का हाथी मदोन्मन्न हो गया। सर्व उनमें से एक सेठने बनावटी सेठको अंगीकार प्रथम जिस वम्भ के साथ बन्धा था उसे तोड़ किया। यह बनाय देखकर माचा सेट तो दिया। फिर वह गजराज अपनी सुण्ड मे हताश हो गया और उसे यहत दाम्य हुआ। बहुत से नगरवालियों को मारने लगा चीजों की राजा के सिपाहियोंन उसे मारना भी शरू कर तोडने लगा। सब मनुष्यों के लिए बाद साक्षात दिया।
कालका रूम था। सभी दिशाओं में भय व्याप्त
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