Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 397
________________ तुमसे विपरीत होती है। और जीवन का नियम है कि यहां सभी चीजें विपरीत से चलती हैं। यहां स्त्री चलती है तो पुरुष के बिना नहीं चल सकती। यहां पुरुष चलता है तो स्त्री के बिना नहीं चल सकता। यहां रात है तो दिन है और यहां जन्म है तो मौत है। यहां अंधेरा है तो प्रकाश है। यहां हर चीज अपने विपरीत से बंधी है। जगत दवंदव है, दवैत; दवि। ठीक ऐसी ही स्थिति मन के भीतर है। अब इस स्वप्न को समझने की कोशिश करो। कहा है कि पहले स्वप्न देखता था : भीड़ में, सभा में, समाज में अचानक नग्न हो गया हूं। वह छाया है। तुम वस्त्र पहन कर समाज में, भीड़ में, व्यक्तियों में मिलते-जुलते हों-तुम्हारी छाया उससे विपरीत भाव पैदा करती रहती है, नग्न हो जाने का। इसलिए अक्सर जब कभी कोई आदमी पागल हो जाता है तो वस्त्र फेंक कर नग्न हो जाता है। जो छाया सदा से कह रही थी और उसने कभी नहीं सुना था, पागल हो कर वह छाया के साथ राजी हो जाता है; जो उसने किया था, उसे छोड़ देता है और छाया की सुनने लगता है। उसका छाया रूप सदा से कह रहा था. हो जाओ नग्न, हो जाओ नग्न! इसलिए तो समाज इतने जोर से आग्रह करता है कि नग्न मत होना, नग्न मत निकलना बाहर। क्योंकि सभी को पता है जिस दिन से आदमी ने वस्त्र पहने हैं, उसी दिन से नग्न होने की कामना छाया-रूप व्यक्तित्व में पैदा हो गई है। जिस दिन से वस्त्र पहने हैं-उसी दिन से! जो लोग नग्न रहते हैं जंगलों में, उनको कभी ऐसा सपना नहीं आएगा। सपने में वे कभी नहीं देखेंगे कि वे नग्न हो गए हैं, क्योंकि वस्त्र उन्होंने पहने नहीं। ही, सपने में वस्त्र पहनने का सपना आ सकता है। अगर उन्होंने वस्त्र पहने हुए लोग देखे हैं तो सपने में वस्त्र पहनने की आकांक्षा पैदा हो सकती है। सपने में हम वही देखते हैं जो हमने इंकार किया है, जो हमने अस्वीकार किया है, जो हमने त्याग दिया है। सपने में वही हमारे मन में उठने लगता है जो हमने घर के तलघरे में फेंक दिया है। और जब भी हम कोई काम करेंगे, तो कुछ तो तलघरे में फेंकना ही पड़ेगा। अगर तुमने किसी स्त्री को प्रेम किया तो प्रेम के साथ जुड़ी हुई घृणा को क्या करोगे? घृणा को तलघरे में फेंक दोगे। तुम्हारे सपने में घृणा आने लगेगी। तुम्हारे सपने में तुम किसी दिन अपनी पत्नी की हत्या कर दोगे। किसी दिन तुम सपने में पत्नी की गर्दन दबा रहे होओगे। और तुम सोच भी न सकोगे कि कभी ऐसा सोचा नहीं, जागते में कभी विचार नहीं आया और पत्नी इतनी सुंदर है और इतनी प्रीतिकर है और सब ठीक चल रहा है, यह सपना कैसे पैदा होता है! तुम कभी सपने में मित्र के साथ लड़ते हुए पाए जाओगे क्योंकि जिससे भी तुमने मैत्री बनाई, उसके साथ जो शत्रुता का भाव उठा, उसे तुमने तलघरे में फेंक दिया। हम चौबीस घंटे कुछ करते हैं तो तलघरे में फेंकते हैं। इसलिए तो अष्टावक्र तो कहते हैं कि तुम न तो चुनना पुण्य को न पाप को। तुमने पुण्य चुना तो पाप को तलघरे में फेंक दोगे वह तुम्हारे सपनों में छाया डालेगा और वह तुम्हारे आने वाले जीवन का आधार बन जाएगा। अगर तुमने चुना

Loading...

Page Navigation
1 ... 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407