Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 401
________________ पता है, जलालुद्दीन ने क्या कहा त्र: जो कहा, वह बड़ा अदभुत है! कुरान के वचन की ऐसी व्याख्या ठीक कोई पहुंचा हुआ सिद्ध ही कर सकता है। जलालुद्दीन ने कहा: 'तुम इसकी फिक्र न करो। मैं जाऊं राजा के घर, चाहे राजा मेरे पास आए हर हालत में राजा मेरे पास आता है। ' अजीब व्याख्या! हर हालत में! तुम आंखों की चिंता में मत पड़ना कि तुमने क्या देखा! चाहे मैं राजा के महल जाता दिखाई पडूं और चाहे राजा मेरे झोपड़े पर आता दिखाई पड़े, मैं तुमसे कहता हूं : हर हालत में राजा ही मेरे पास आता है। अब जलालुद्दीन कहते हैं तो शिष्य सकते में आ गए, लेकिन बात तो समझ में नहीं आई कि यह क्या मामला है भू: हर हालत में! जलालुद्दीन ने कहा : घबड़ाओ मत, परेशान मत होओ। कभी मैं राजा के दवार पर जाता हूं क्योंकि वह हिम्मत नहीं जुटा पा रहा आने की। वह तो नासमझ है, मैं तो नासमझ नहीं। मैं तो उसकी संभावना देखता हूं। मैं तो इसलिए गया कि उसके आने के लिए रास्ता बना आऊं। अब वह चला आएगा। मेरा जाना उससे अगर कुछ मांगने को होता तो मैं गया। मैं तो देने गया था, तो जाना कैसा? कुरान यही कहता है कि मत जाना-उसका कुल मतलब इतना है कि मांगने मत जाना। देने जाने के लिए तो कोई मनाही नहीं है। और जो देने गया है, वह गया ही नहीं है। मैं जलालुद्दीन से राजी हूं। मैं अजित सरस्वती को कहता हूं कि तुमने सोचसोच कर संन्यास लिया, वह तुम्हारी समझ होगी; जहां तक मुझसे पूछते हो, मैंने दिया। तुम सोचते न तो थोड़ी जल्दी मिल जाता, तुम सोचे तो थोड़ी देर से मिला बाकी हर हाल में दिया मैंने। जिन्होंने भी संन्यास लिया है, वे खयाल में ले लें कि तुम चाहे संन्यास लो चाहे मैं दूं? हर हाल में मैं देता हूं। तुम्हारे लेने का कोई सवाल नहीं है। तुम ले कैसे सकते हो? तुम उस विराट की तरफ हाथ कैसे फैला सकते हो? संन्यास प्रसाद है। और यह भाव जिस दिन समझ में आ जाएगा उसी दिन यह स्वप्न खो जाएगा। इसमें थोड़ा कर्तृत्व- भाव बचा है, उतनी ही अड़चन है। छठवां प्रश्न : मुझे अपने समर्पण पर शक होता है। क्या पूरा समर्पण शिष्य को ही करना होगा, या कि गुरु के सहयोग से वह शिष्य में घटित होता है? कृपया इस दिशा में हमें उपदेश करें। समर्पण पर शक सभी को होता है, क्योंकि समर्पण तुम सोच-सोच कर करते हो। जो तुम सोच-सोच कर करते हो, उसमें शक

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