Book Title: Ashtasahasri Tatparya Vivaranam
Author(s): Yashovijay Gani, Vijayodaysuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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विषयः
अष्टसहस्न्या ॥ ७॥
पत्र पृ. पं० नैव सम्पादनम् ९८ अहस्य लक्षणम् ९९ जहाण्यप्रमाणस्य सामान्य प्रत्यासत्तिस्थानामिषिक्त
स्वोपवर्णनेन स्मरणादिसाधारणसामान्यविषयक
ज्ञानत्वेन हेतुतावादोऽप्यपाकृतः १०. सामान्याश्रययावयक्तिविशेषप्रतिपत्तिव्यक्तिविशे.
पाश्रितयावत्मामान्यप्रतिपक्योरूहतैव, अन्यथा
विशेषलक्षणा प्रत्यासत्तिरपि स्यादित्युपपादितम् ७७ प्र.१५ १०१ निर्विकल्पकसाधारणसामान्यज्ञानस्य प्रत्यासत्ति
स्वमते ज्ञानलक्षणप्रत्याससेरपलाप आपादितः १०२ सामान्यलक्षणज्ञानलक्षणयोरेकरूपेण हेतुत्वमापादितम् ७८ प्र० १.३ सामान्यावच्छिमविशेषविषयकप्रत्यक्षविशेषावच्छिन्न
सामान्यविषयकप्रत्यक्षयोरूहस्य कारणत्वमुपसंहृतम् ८१ प्र०६ १. सामान्यलक्षणाप्रत्यासत्तिखण्डनोपसंहारः १ द्वि० ५ १०५ प्रत्यक्षगतवैजात्यमेवेन्द्रियजन्यतावच्छेदकमितिनीणीतम् ८३ प्र०६ १०६ देशघातिज्ञानावरणस्पर्धकसर्वघातिज्ञानावरणस्पर्ध
विषयः
पत्र पृ. पं०४ कयोः स्वरूपं विविव्योपदय तत्रागमसंवादो दर्शितः ८३ प्र० &ाविषयसूची १०७ मन्त्रब्राह्मणमेदेन बेदद्वैविध्य मन्त्रब्राह्मणलक्षण
पत्रम् प्रकारोपवर्णन
८५ प्र०
॥ ७॥ १०८ अर्थव्यञ्जनपर्यायलक्षणविवेचकपचमुक्तिम
८६ प्र० १४ १.९ प्रतिबन्धककर्मक्षयोपशमक्षयलक्षणैव प्रत्यक्षजनन
योग्यतेत्युपपत्तये प्रत्यक्षे न्यायामिमतमिन्द्रियसमिकर्षस्य हेतुत्वमपाकृत्य क्षयोपशमविशेषस्य हेतुस्वमु.
पपादितम् ११. व्यासज्यवृत्तिधर्मप्रत्यक्षे यावदाश्रयप्रत्यक्षस्य
हेतुत्वमुन्मूलितम् " अनुमानेन पुरुषविशेष सर्वधा दोषावरणयोहानि:
प्रतिपादिता तुरीयपयेन। १२ भज्ञानादेर्दोषस्य पौद्गलिकज्ञानावरणा दिकर्मरूपाव
रणामिनस्वभावता व्यवस्थापिता १५ दोषावरणयोः कार्यकारणभावश्नोपपादितस्तत्वार्थ--
दर्शितदिशा
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