Book Title: Arambh Siddhi Satik
Author(s): Udayprabhdevsuri, Jitendravijay
Publisher: Labdhisuri Jain Granthmala

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Page 11
________________ ॥ श्री जिनाय नमः ॥ . श्रीलब्धिसूरीश्वर-जैन-ग्रन्थमालायाः द्वादशो मणिः ॥ श्रीआत्म-कमल-लब्धिसूरीश्वरेभ्यो नमः ॥ प्रकृष्टप्रभावप्रपन्नश्रीशर्खेश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ मन्त्रीश्वरश्रीवस्तुपालमौलिललिताकिमलयमल श्रीमदुदयप्रभदेवसूरिविरचिता - आरम्भसिद्धिः। अपरनाम-व्यवहारचर्या ।। श्रीज्योतिर्वित्प्रभुश्रीहेमहंसगणिसुविरचितेन सुधीशृङ्गारा स्येन वार्तिकेन च सुसंस्कृता । प्रत्यूषप्रार्थ्य-स्वपरसमयपारावारपारीण-सूरिसार्वभौम-जैनररन-व्याख्यानवाचस्पतिकविकुल किरीट-पूज्यपाद-आचार्य देवाधीशश्रीमद्विजयलब्धिसूरीश्वरान्तेवासिसासनप्रभावक-निस्पृहनभोमणि-पन्यासप्रवरश्रीप्रवीणविजयगणिवरशिष्य-भविकवृन्दबोधकवरविबुधमहितप्रतिभाप्रपन्नमुनिप्रवरश्रीमहिमाविजयशिष्याणुना मुनिजितेन्द्रविजयेन परिशिष्टानुक्रमादिभिः संयोज्य च सम्पादिता । व्याख्यानवाचस्पति-पूज्यपादश्रीमल्लब्धिसूरीश्वराणां सुपट्टप्रभाकर-दक्षिणदेशगतनानाविध-जीवदयाप्रचारक-शासनोद्योतक श्रीमद्विजयगम्भीरसूरिवरोपदेशेन-श्री मद्रास जैन संघ--वितीर्णकिञ्चित्साहाय्येन प्रकाशिता च । प्रकाशयित्री-श्रीलब्धिसूरीश्वर जैन ग्रन्थमाला-छाणी (वडोदरा) वीर संवत् २४६८ फ्राइस्ट सन् १९४२ वैक्रमीय सं. १९९८ पण्यं २-८-० Aho! Shrutgyanam

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