Book Title: Aradhana
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 6
________________ मैट्रिक - कालेज के जैन युवकों के जीवन - निर्माणार्थ गत ३१ वर्ष से जैन धर्मिक शिक्षण-शिविरों का आयोजन होता आ रहा है । इन शिविरों में पूज्यपाद आचार्य श्री विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी महाराज पांच पांच विषयों की तार्किक और रहस्यपूर्ण वाचनाएँ देते थे। शिविर में प्रविष्ट होनेवाले युवकों को २१ दिन की अवधि में सामायिक, गुरुवंदन तथा चैत्यवंदन के सूत्र स्तवन, स्तुतियां, सज्झाय, थोय आदि अवश्यमेव कंठस्थ करने होते है। इन सूत्रों व उनके अर्थ, भावार्थ, विधि, स्तवन आदि के संकलन रूप पाठ्यपुस्तक का अभाव था । पूज्यपाद की प्रशस्त लेखिनी द्वारा ग्रथित यह पुस्तक उस अभाव की पूर्ति करती है। वैसे तो यह पुस्तक शिविरार्थियों के लिए लिखी गई है। परन्तु प्रारंभ से अभ्यास करने के अभिलाषी आराधकों, पाठशालाओं के छात्र-छात्राओं तथा इन क्रियाओं में रसरुचि रखनेवाले सभी के लिए यह उतनी ही उपयोगी है। __ इस पाठयपुस्तक की विशिष्टता और विबोधकता यह है कि पूज्यपाद आचार्य महाराज ने अपनी विविध सम्यक् शासन सेवाओं के उत्तरदायित्व और व्यस्तता से समय निकालकर सूत्रों का सविस्तार अर्थ और भावार्थ लिख दिया है। उनकी अनुभवपूर्ण लेखनी के स्पर्श से यह पाठ्यपुस्तक प्रामाणिक बन गया है। उनके श्रम और उपकार के प्रति हम अतीव ऋणी हैं। इस अत्यधिक उपयोगी पुस्तक के हिन्दी अनुवाद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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