Book Title: Apbhramsa of Hemchandracharya
Author(s): Hemchandracharya, Kantilal Baldevram Vyas, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 194
________________ बइ ३३२-२ ४२८ ४४४-१ शब्दसूचिः ( अति) ४२५-१ अच्छउ. ४०६-३ अइतुंगत्तण (अतितुङ्गत्वम्) ३९० अज्ज-वि (अद्य+अपि) ४२३-३ अइमत्तहं (अतिमत्तानाम् ) ३४५ अज्जु (अद्य) ३४३-२ अइरत्तिए (अतिरक्तया) ४३८-२ अडोहिउ (अक्षोभितम्, अइसो (ईदृश:) अक्लुषितम्) ४३९-३ अंगु (अङ्गम् ) अणुणेइ ४१४-१ (अनुनयति) अंगहि (अझैः) अणुत्तर (अनुक्तराम्) ३७२-१ अंगिहिं . (अङ्गषु) अणुदिनहु (अनुदिवसम्) अंगुलिउ (अङ्गुल्यः) . ३३३ अणुरत्ताउ (अनुरक्ताः) ४२२-९ अंतरु (अन्तरम् ) ४०६-३, ४०७, अणुहरइ (धनुहरति) ३६७-३, ४१८-६ अंबडी (अन्त्र) ५४५-२ अण्ण see बन्न अंधारइ (अन्धकारे) ३४९-१ अस्थिहिं (अस्त्रैः ) अंबणु (अम्लत्वम् ) ३७६-२ अत्थमणि (अस्तमने) अंसुजले (अश्रुजलेन ) ४१४-३ অা ( अर्धानि) अंसूसासेहिं (अश्रच्छ्वासैः) ४३१-१ अधिन्नई (अधीनानि) ४२७-१ अकिआ (अकृतम् ) ३९६-४ अनउ (अनयः) ४००-१ अक्खणहं (आख्यानाय, अनु ४१५-१ : आख्यातुम् ) ३५०-१ अन (अण्ण) (अन्य) ३३७, अक्सिहिं (अक्षिण) ३५७-२ ३५०-१, ३५७-२, अखइ (अक्षये) . - ३७२-१, ३८३-३, अगलिअ-नेह-निवट्टाहं ( अगलित . ४०१-२, ४१४-१, ४१८-६, ४२२-१, स्नेह-निर्वृत्तानां ) ३३२-१ ८, ४२५-१, ४२७-१ अग्गइ (अग्रे)३९१-१, ४२२-११ अन्नह (अन्यथा) ४१५ अग्गलउ (अग्रल;=अधिकम)३४१-२ अन्नाइस (अन्याश) .. ४१३ 'अग्गल (अर्गलः) ४४४-१ अपूरइ (अपूर्णे) ४२२-१४ अग्गिएं, अग्गिण (अग्निना) ३४३-१, २ अप्पा, अप ( आत्मा, अत्म-) ३४६, अग्गिट्ठउ (अग्निष्ठः) ४२९-१ ४२२-३ अग्घइ (बर्हति) ३८५-१ अप्पण- (आत्मीय) ३३७, ३३८, अचिंतिय (अचिन्तिता) ४२३-१ ... ३५०-२, ४१६-१ अच्छा (अस्ति ) રૂ૮૮ अप्पण-छंदउ यात्मच्छन्दकम् ) ४२२.-१२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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