Book Title: Apbhramsa of Hemchandracharya
Author(s): Hemchandracharya, Kantilal Baldevram Vyas, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 200
________________ (171) 'गइ (गर्जसि। (गर्जी गण खोडि (-दोषः) ४१९ (करम् ) (गतिः ) गलइ (गलति) ४१८-५ मइस (गता) गलन्ति (गलन्ति) १.६-२ गउरी (गौरी) गलि (ग) ४५३-४ गंग (गङ्गाम्) ४१२-२ - गलिभ (गलित) ३३२-१ गंगा-हाणु (गङ्गास्नानम् ) ३९९-१ गवक्सेहि ४२३-३ गंजिउ (=पराजितः) गवेसइ (गवेषयति) 'गंठि ग्रन्थिः ) ४२०-३ (ग्रहाः ) 'गंडाई (गण्डान्) गरुया (गुरुकम् ) ३४-२ गंड-स्थलि (गण्डस्थले) गहीरिम (गभीरिमाणम् ) ४१९-४ गज्जहि गामह (ग्रामयोः) गज्जु ४१८-५ गालि ('काळे) (गणयति) ३५८-२ गिम्भो (ग्रीष्मः) ४१२ गणंति (गणयन्ति) गिम्ह (ग्रीष्मः) ३५७-२ मणतिए (गणयन्त्याः ) ३३३,४१४-२ गिरिहे (गिरेः) (°गतः) गिरि-गिलण-मणु (गिरिगिलनमना:) ४४५-१ गमिहि (गमिष्यति) ३३०-२ गिरि-सिंगहु (गिरिशृङ्गेभ्यः) ३३७ गमेप्पि, गमेप्पिणु (गत्वा) गिलि (गिल) गंपि, गंप्पिणु (गणुि ) ४१२-१ गिलिज्जइ (गिल्यते) गतम् . गतः) ४२६-१, गुट्ठ-ट्ठिअहो (गोष्ठस्थितम्य) ४४२-२ गुण (गुणयति) ४२२-१३ (गतानि) _(गुणान् ) ३३८ गयउ (गतः) ४४२-१५ गुणहि (गुणैः) ३३५, ३४७ गयहि (गतयोः) ३७०-३ गुणु (गुण:) ३९५. ६ गया (गता:) ३७६-२ गुण-लायण्ण-निहि(गुणलावण्यनिधिः,४१४-१ गय (गजाः, गजानाम् , गजान ) ३३५, गुण-संपइ (गुणसम्पदम् ) ३७२-१ ३४५, ४१८-२ गुरु-मच्छर-भरिउ (गुरुमत्सरभृतः) ४४४ -४ गय-घड (गजघटाः) ३९५-५ गृहइ (गृहाति) ३३६-१ गयणि (गगने) ३९५-४ । गृण्हेप्पिणु (गृहीत्वा) ३९४,४३८-१ गयण-या (गगनतलम् ) ३७६-१ गृहति (गृह्णन्ति) ३४१-२ गय-मत्तहं (मत्तगजानाम् ) ३८३-३ गोट्टडा (गोष्ठाः ) ४२३-४ 'गदो गउ गुण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229