Book Title: Apbhramsa Bharti 1992 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश-भारती-2
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विदुषी पुत्रवधू का कथानक
किसी नगर में लक्ष्मीदास सेठ भली प्रकार से रहता था । वह बहुत धन-संपत्ति के कारण अत्यन्त गर्वीला था । भोगविलासों में ही (वह) लगा हुआ (था) (और) कभी भी धर्म नहीं करता था। उसका पुत्र भी ऐसा ही था । यौवन में पिता द्वारा धार्मिक धर्मदास की यथानाम शीलवती कन्या के साथ पुत्र का विवाह करवा दिया गया । जब वह कन्या आठ वर्ष की हुई, तब उसके द्वारा पिता की प्रेरणा से (एक) साध्वी के पास सर्वज्ञ के धर्म के श्रवण से सम्यक्त्व और अणुव्रत ग्रहण किए गए । सर्वज्ञ के धर्म में (वह) बहुत निपुण हुई ।
जब वह ससुर के घर में आ गई, तब ससुर आदि को धर्म से विमुख देखकर, उसके द्वारा बहुत दुःख प्राप्त किया गया । मेरे निजव्रत का निर्वाह कैसे होगा ? अथवा देव-गुरु से विमुख ससुर आदि के लिए धर्मोपदेश कैसे संभव होगा ? इस प्रकार वह विचार करती है । ___ संसार असार है, लक्ष्मी भी असार है, देह भी विनाशशील है, एक धर्म ही परलोक जानेवाले जीव के लिए आधार है, इस प्रकार एक बार उपदेश देने से निज पति सर्वज्ञ के धर्म में संस्कारित किया गया । कुछ समय पश्चात् (वह) इसी प्रकार सास को भी समझाती है । ससुर को समझाने के लिए वह समय खोजने लगी ।
एक बार उसके घर में श्रमण-गुण-समूह से अलंकृत महाव्रती ज्ञानी, यौवन में स्थित एक साधु भिक्षा के लिए आये । यौवन में ही व्रत को ग्रहण किए हुए शान्त और जितेन्द्रिय साधु को घर में आया हुआ देखकर आहार को प्राप्त करते हुए होने पर ही उसके द्वारा विचार किया गया, यौवन में महाव्रत अत्यन्त दुर्लभ (है) । इनके द्वारा इस यौवन अवस्था में (महाव्रत) कैसे ग्रहण किए गए ? इस प्रकार परीक्षा के लिए समस्या का उत्तर पूछा गया। अभी समय न हुआ, पहिले ही (आप) क्यों निकल गए ? उसके हृदय में उत्पन्न भाव को जानकर साधु के द्वारा कहा गयाज्ञान समय (है) । कब मृत्यु होगी ऐसा ज्ञान (किसी को) नहीं है, इसलिए समय के बिना निकल गया । वह उत्तर को समझकर संतुष्ट हुई । मुनि के द्वारा भी वह पूछी गई । तुम्हें उत्पन्न हुए कितने वर्ष हुए ? मुनि के प्रश्न के आशय को जानकर बीस वर्ष की हो जाने पर भी उसके द्वारा 'बारह वर्ष कहे गये । फिर, तुम्हारे स्वामी का (जन्म हुए) कितने वर्ष हुए ? इस प्रकार (यह) पूछा गया । उसके द्वारा प्रिय का (जन्म हुए) पच्चीस वर्ष हो जाने पर भी पाँच वर्ष कहा गया, इस प्रकार सासू का छः माह कहा गया, ससुर के लिए पूछने पर 'वह अभी उत्पन्न नहीं हुआ है, इस प्रकार शब्द कहे गये । ___ इस प्रकार बहू और साधु की वार्ता भीतर बैठे हुए ससुर के द्वारा सुनी गई । भिक्षा को प्राप्त साधु के चले जाने पर वह अत्यन्त क्रोध से व्याकुल हुआ, क्योंकि पुत्रवधू मुझको लक्ष्य करके कहती है कि (मै) उत्पन्न नहीं हुआ । वह रूठ गया, (और) पुत्र को कहने के लिए दुकान पर गया । जाते हुए ससुर को वह कहती है - हे ससुर । आप भोजन करके जाएं । ससुर कहता है - यदि मैं उत्पन्न नहीं हुआ हैं, तो भोजन कैसे चबाऊँगा - खाऊँगा । इस (बात) को कहकर दुकान पर गया। पुत्र को सब वार्ता हकीकत कही । तेरी पत्नी दुराचारिणी है और अशिष्ट बोलनेवाली है, इसलिए (तुम) उसको घर से निकालो ।