Book Title: Apbhramsa Bharti 1992 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 139
________________ अपभ्रंश - भारती-2 पुत्तु वि पुट्टु, तेण वि उत्तु रत्तिहिं समय - धम्मोवएसपराए भज्जाए संसारासारदंसणे भोगविलासहं च परिणामदुहदाइत्तणे, वासाणईपूरतुल्ल जुव्वणत्तणे य देहसु खणभंगुरतणे जबि धम्मु एव सारु ति उवदिट्टु । हउँ सव्वण्णु- धम्माराहगो जाउ, अज्जु पंचवासा जाया । तओ बहुए मई उद्दिस्सेवि पंचवासा कहिआ, त सच्चु । एव कुडुबसु धम्मपत्ति बट्टा विउसी य पुत्तबहूहे जहत्थवयणु सुणेप्पिणु लच्छीदासु वि पडिबुद्ध बुड्ढतणि वि धम्मु आराहि सग्गइ पत्तु सपरिवारु । 130 -

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