Book Title: Anuyogdwar Sutram
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्ति अनुयोगद्वारसूत्रस्य विषयानुक्रमः युतम्। 169 144 // 5 // क्रमः विषयः सूत्रम् अष्टविधोनुगमः। 122 (गा.९) 3.1 सङ्गहस्य औप० द्रव्यानुपूर्व्याः / पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, अनानुपूर्वी त्रिभेदाः तत्स्वरूपश्च / 131 प्रकारान्तरेणौप० द्रानुपूर्व्या 1 पूर्वानुपूर्व्यादि भेदत्रय तद्विवरणं च। 135 द्विविधा क्षेत्रानुपूर्वी १.औ०२.अनौ० च। १.१.४अ.२.५.१-२ नै० व्य० अपेक्षयाऽनौ० क्षेत्रानु० अर्थपदप्ररूपणतादि पञ्चभेदाः / अनुगमस्य द्वे द्वारे 139 क्षेत्रानुपूर्व्याः शेष 3-9 द्वाराणि / 152 (गा.१०) .४आ.२ सङ्गहनयाभिमतानौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी। 159 १.१.४आ.१ सङ्गह० औप० क्षेत्रानुपूर्वी, तस्य पूर्वानुपूर्व्यादि त्रिभेदाः। 160 पृष्ठः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 115 सङ्ग०औ० अधोलोक क्षेत्रानुपूर्वी तस्य पूर्वानुपूर्वीत्यादिभेदाः / 164 143 तेषां व्याख्यानम्। ___ (गा.११-१४) 118 सङ्क०औ० उर्ध्वलोक क्षेत्रानुपूर्वी, तस्य पूर्वानुपूर्व्यादि त्रिभेदाः। तेषां व्याख्यानम्। 172 147 124 / १.१.५अ कालानुपूर्वी तस्यौ० अनौ० भेदद्वयम्, नै०व्य० अनौकालानु०,तस्य १.१.५अ.२.५.१-२ अर्थपदप्ररूपणतादि पश्चभेदा तेषांव्याख्यानच। नवविधानुगमस्य द्वे द्वारे। 180 148 126 (गा.१५) 130 | 1.1.51.2.5.3-9 कालानुपूर्व्याः शेष द्वाराणि / 193 152 | १.१.५आ.२ सङ्ग० अनौ० कालानुपूर्वी। 199 158 १.१.५आ.१ औप० कालानुपूर्वी / 140 समयावलिकादारभ्य शीर्षप्रहेलिका पल्योपम सागरोपमोत्सर्पिणी प्रभृतीनां 141 व्याख्यानम्। 201 158

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