Book Title: Anuyogdwar Sutram
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 19
________________ क्रम श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 9 // अनुयोगद्वारसूत्रस्य विषयानुक्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 1.3.2.2.1.2 जलचर चतुष्पदोरपरिसर्प भुजपरिसर्प खेचरादीनां शरीरावगाहना। 351 264 (गा.१०१-२) 1.3.2.2.1.2 मनुष्याणां शरीरावगाहना। 352 267 1.3.2.2.1.2 वाणव्यंतर ज्योतिष सौधर्मादीनां शरीरावगाहना तथा सूचि प्रतर घनाङ्गलाल्पबहुत्वम् / 353 268 1.3.2.2.1.3 विभा०नि० प्रमाणााङ्गलम्। 358 श्रेणी प्रतर घनााङ्गलाल्पबहुत्वम् / 361 274 कालप्रमाणम्। 1.3.3.1 प्रदेशनिष्पन्नम्, 1.3.3.2 विभागनिष्पन्नम्, समयावलिकादि। 363 276 (गा.१०३) | 1.3.3.2 समयप्ररूपणा। 366 277 3.2 गणितविषयानां आवलिकादारभ्य शीर्षप्रहेलिकान्तानां निरूपणम्। 367 282 (गा.१०४-६) क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 1.3.3.2.1-2 विभा०नि०औप०कालस्य पल्यो०सागद्वेभेदे। पल्यो० स्योद्धाराद्धा क्षेत्रत्रिभेदानि 1.3.3.2.1-2 (i) उद्धारस्य सूक्ष्म व्यवहारिके भेदे। द्वीपसमुद्रसङ्ख्या प्रमाणप्रयोजनम् / 368 283 (गा.१०७-८) 1.3.3.2.1-2 (ii) विभा० नि०औप०कालस्य० अद्धा पल्यो सागव्योः सूक्ष्मव्यवहारिके भेदेप्रयोजनश्च। 377 288 _ (गा.१०९-१०) 1.3.3.2.1-2 (i) अद्धापल्यो० सागल्योः रत्न प्रभादिनारकाणमायु:स्थितिद्वारेण निरूपणंप्रयोजनकथनश्च। 383 290 असुरकुमारादिशेषदण्डकानामायु:स्थितिद्वारेणकथनम्। 384 291 (गा.१११-१२) 1.3.3.2.1-2 (ii) क्षेत्रपल्यो० सागव्योः सूक्ष्म व्यवहारिकेभेदे तत्प्रयोजनच। 392 300 (गा.११३-१४) // 9

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