Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 8
________________ अनुक्रम सम्पादन गुणसौभाग्यापरनाम-श्रीजयवन्तसूरिविरचितः श्रीशान्तिस्तवः - सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय १ ज्ञानचन्द्रकृतं श्रीपार्श्वजिनस्तवनम् (अवचूर्णिसहितम्) - सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय ५ वादीन्द्रश्रीदेवसूरिचरितम् - सं. गणि सुयशचन्द्रविजय, मुनि सुजसचन्द्रविजय१० श्रीवादीदेवसूरि-चरित-महाकाव्य-सम्बन्धित ऐतिहासिक नोंध - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ८२ पूर्णतल्लगच्छीय-श्रीशान्तिसूरिविरचितटीकोपेतं घटकपरकाव्यम् - सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय ८५ केटलीक लेखपद्धतिओ - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ९५ केटलाक पत्रो - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि लेखपद्धतिः - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १०४ श्रीतिलकविजय-कृत स्तवनो - सं. मुनि धुरन्धरविजय ११८ अष्टापदतीर्थ-भरतचक्रवर्ती-ऋद्धिस्तवन - सं. जागृति डी. वोरा १२५ स्वाध्याय श्रीअनुयोगद्वारसूत्रना एक पाठनी प्रामाणिकता - मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय १३३ सौन्दर्य और शान्ति : जिनसौन्दर्य और प्रतिमाओं पर जैन विविध विचार - नलिनी बलबीर १४३ प्राकृत एवं अपभ्रंश जैनसाहित्य में कृष्ण - प्रो. सागरमल जैन १६३ डो. ढांकी द्वारा थयेलुं एक महत्त्व- अन्वेषण : नन्द्यावर्त प्रकीर्ण नवां प्रकाशनो १८१ १८६Page Navigation
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