Book Title: Antriksha Parshwanath Mahapujan Vidhi
Author(s): Sarvodaysagar, Udayratnasagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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रक्तवस्त्राय कमलहस्ताय सप्ताश्वरथवाहनाय श्रीसूर्याय स्वाहा।। ( 1)द्राक्ष भानोबार २) श्री सोम (यन्द्र) अखनु पूलन :(सग्धरा-झंकारा)प्रोद्यत्पीयूषपूरप्रसृमरजगतीपोषनिर्दोषकृत्य, व्यावृत्तोध्वान्तकान्ताकुलकलितमहामानदत्तापमान: । उन्माद्यत्कण्टकालीदलकलितसरोजालिनिद्राविनिद्रः, चन्द्रश्चन्द्रावदातं, गुणनिवहमभिव्यातनोत्वात्मभाजाम्॥२॥ॐ चंचंचनम: शम्भुशेखराय षोडशकलापरिपूर्णाय तारागणाधीशाय वायव्यदिगधीशाय अमृताय अमृतमयाय सर्वजगतपोषणाय श्वेतवस्त्राय श्वेतदशवाजिवाहनाय सुधाकुम्भहस्ताय श्रीचन्द्राय स्वाहा ।। शे२. भमरानो बार ( 1) (3) श्री भंग खनु पूलन :(उपेन्द्रवज्रा-कल्लाणकंदं)ऋणाभिहन्ता सकताधिगन्ता, सदैववक्र: क्रतुभोजिमान्य:। प्रमाथकृद्विघ्नसमुच्चयानां श्रीमङ्गलो मङ्गलमातनोतु ॥३॥ मंत्र :-ॐ ह्रीँ हुँ ह्र: स: नम: दक्षिणदिगधीशाय विद्रुमवर्णाय रक्ताम्बराय भूमिस्थिताय कुद्दालहस्ताय श्रीमङ्गलाय स्वाहा।। (भे ओ) राती सोपारी धागानोबार (४) श्री सुध अनु पूरन : (अनुष्टुप) कर्केटिरूपरूपायै: धूपपुष्पानुलेपन: दुग्धानैर्वरनारिङ्गैस्तर्पित: सोमनंदनः॥ मंत्र :- ॐ ऐं नम: उत्तरदिगधीशाय हरितवस्त्राय कलहंसवाहनाय पुस्तकहस्ताय श्रीबुधाय स्वाहा॥ (मे 1) मांडलामा भगनोबा संत। (1) श्री गुर अखनन:(स्रग्धरा-झंकारा)शास्त्रप्रस्तारसारप्रततमतिविताना भिमानातिमान,प्रागलभ्य: शम्भुजम्भक्षयकरदिनकृ विष्णुभिः पूज्यमानः। नि:शेषास्वप्नजातिव्यतिकरपरमाधीतिहेतुर्वृहत्या:, कान्त: कान्तादिवृद्धिं भवभवहरण: सर्वसङ्घस्य कुर्यात् ॥ मंत्र :- ॐ जीव जीव नम: बृहस्पतये ईशानदिगधीशाय सर्वदेवाचार्याय सर्वग्रहबलवत्तराय काञ्चनवर्णाय पीतवस्त्राय पुस्तकहस्ताय हंसवाहनाय श्रीगुरवे स्वाहा। ओयानो बासंतरा
फ्रज卐 श्री संतरिक्ष पार्श्वनाथ महापूनविधि /39
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