Book Title: Antkruddashasutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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भोयणस्स तिन्नि पाणयस्स च०५० छसत्तमे सत्तते सत्त दत्तीतो भोयणस्स पडिग्गाहेति सत्त पाणयस्स, एवं खलु एवं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं एगूणपन्नाते रातिंदिपहिं एगेण य छन्नउएणं भिक्खासतेणं अहासुत्ता जाव आराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अन्जा तेणेव उवागया अजचंदणं अजं बं० न०२ एवं व०-इच्छामि णं अजातो! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाता समाणी अहमियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरेत्तते, अहासुहं, तते णं सा सुकण्हा अजा अजचंदणाए अन्भणुण्णाया समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, पढमे अट्ठए एकेक भोयणस्स दत्तिं पडि. एक्कक्कं पाणगस्स जाव अट्ठमे अट्ठए अट्ट भोयणस्स पडिगाहेति अट्ठ पाणगस्स, एवं खलु एयं अट्ठमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए रातिदिएहिं दोहि य अट्ठासीतेहिं
भिक्खासतेहिं अहा जाव नवनवमियं भिक्खुपडिम उवसंपजित्ता णं विहरति, पढमे नवए एकेक भोयदाणस्स दत्तिं पडि. एकेकं पाणयस्स जाव नवमे नवए नव नव द. भो० पडि० नव २ पाणयस्स, एवं खलुम
नवनवमियं भिक्खुपडिमं एकासीतीराइंदिएहिं चउहिं पंचोत्तरेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्ता, दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, पढमे दसते एकेक भोय. पडि. एकेकं पाण जाव दसमे दसए दस २ भो० दत्ती पडिग्गाहे० दस २ पाणस्स०, एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिम एकेणं राइंदिय. सतेणं अद्धछठेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं जाव आराहेति २ बहहिं चउत्थ जाव मासद्धमासविविहतवोक|म्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरति, तए णं सा सुकण्हा अजा तेणं ओरालेणं जाव सिद्धा निक्खेवो अज्झ
अनु. ७
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