Book Title: Antagadadasao and Anuttarovavaidasao
Author(s): Madhusudan Modi
Publisher: Gurjar Granth Ratna Karyalay
View full book text
________________
132
पव्वयाओ सणियं सणियं पच्चोरुहंति । २ ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ । २ चा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ । २ ता एवं वयासी । “एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नामं अणगारे पगइभहए पगइविणीए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोहे मिउमद्दवसंपण्णे भल्लीणे भए विणीए, से णं देवाणुप्पिएहिं अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि आरोवित्ता समणे य समणीओ य खामित्ता अम्हेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं तं व निरवसेसं [जाव] आणुपुवीए कालगए । इमे य से आयारभंडए भंते :" गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ । २ ता एवं वयासी ! “ एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नाम अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववण्णे ?” “गोयमा !" इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी “ एवं खलु गोयमा ! मम अंतवासी खंदए नामं अणगारे पगइभद्दए [ जाव ] से णं मए अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहेत्ता तं चेव सव्व अविसेसियं नेयव्वं नाव अलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णे। तत्थ णं अत्यंगइयाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाई टिई पण्णत्ता । तत्थ णं खंदयस्स वि देवस्स बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता"। " से णं भंते | खंदए देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिईक्वएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववजिहिइ ?"। "गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणमंतं करेहिए।" ॥ खंदओ समत्तो ॥
5. 6. उक्खे वओ i. e. the formal beginning as we had in the first अज्झयण, is to be introduced mutatis mutandis here.

Page Navigation
1 ... 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352