Book Title: Antagadadasao and Anuttarovavaidasao
Author(s): Madhusudan Modi
Publisher: Gurjar Granth Ratna Karyalay
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हित्ता कल्लं पाउप्पभायाए [जाव जलंते जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए। - से नूणं खंदया ! अठे समठे ?” “हंता अस्थि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह।"
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तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अभYण्णाए समाणे हद्वतु [ जाव ] हयहियए उठाए उठेइ २ समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ २ [जाव] नमंसित्ता सयभेव पंचमहव्वयाई आरुहेइ । २ ता समणे य समणीओ य खामेइ । २ त्ता तहास्वेहि थेरेहिं कडाईहि सद्धिं विउल पव्वयं सणियं सणियं दुरुहेइ, मेहघणसंणिगास देवसंणिवायं पुढवीसिलावयं पडिलेहेइ । २ ता दन्भसंथारय संथरइ । २ ता पुरत्याभिमुहे संपलियंकणिसण्णे करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी । “पुवि पि मए समण-स्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए [जाव] मिच्छादसणसल्ले पच्चक्खाए जावज्जीवाए। इयाणिं पि य णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वं पच्चक्खामि जावज्जीवाए [जाव] मिच्छादसणसल्लं पच्चक्खामि । एवं सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउवि पि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए। जं पि य इमं सरीरं कंतं पियं [जाव] फुसंतु।' त्ति कटु एयं पि णं चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं वोसिरामि।" ति कटु संलेहणाझूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पायोवगए कालं अणवक्खमाणे विहरइ। तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिज्जित्ता बहुपडिपुण्णाई दुवालसवासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं :झुसित्ता सठिं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते आणुपुब्बीए कालगए।
तए णं थेरा भंगवंतं खंदयं अणगारं कालगयं जाणित्ता परिणिव्वागवत्तियं काउस्सग्गं करेंति । २ सा पत्तचीवराई गिण्हंति । २ ता बिउलामो
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