Book Title: Antagadadasao and Anuttarovavaidasao
Author(s): Madhusudan Modi
Publisher: Gurjar Granth Ratna Karyalay

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Page 301
________________ 141 33. 9. अहीण. etc. See the details on सोमाले [जाव सुरूवे । 34.13. जहा पण्णत्तीए गंगदत्ते । See Notes P. 107. 35. 14. किण्हे [ जाव ] निउरंबभूए । See अभय० on अंत० P. 98. For greater detaits see ओव० 8 3. 38. 13. सिंघाडग० [ जाव ] महापहपहेसु See. 39. 8-11. 39. 6. अभिगयजीवाजीवे [ जाव ] विहरइ ।-ओव० 8124 P. 84 1. 18-P. 45. 1. 7. All the expressions dropped form the attributives of HUT; hence not so important for the narrative as such, ____ 39. 8-11. सिंघाडग [0] बहुजणो अण्णमण्णस्स एव माइक्खइ [जाव] किमंग पुण विपुलस्सं अट्ठस्स गहणाए [0]"। See. ओव० $3. तए णं चंपाए नयरीए सिंघाडगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवाए इ वा जणुल्लावे इ वा जणवूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसंणिवाए इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ-" एवं खलु देवाणुप्पिया! समणे भगवं महावीरे आगरे तित्थगरे सयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे [ जाव ] संपाविउकामे पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे इहमागए इहसंपत्ते इह सोमसढे इहेव चंपाए नयरीए बहिं पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महाफलं खलु भो

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