Book Title: Anekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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अनेकान्त 66/1, जनवरी-मार्च 2013
११. वही, २५/१६
१२. आदिपुराण, २१/१५-१६ १३. ज्ञानार्णव, ३/२८-३४
१४. वही, २५/१७-२१ १५. तत्त्वार्थसूत्र, ९/२८
१६. सर्वार्थसिद्धि, ९/२२८ १७. ज्ञानार्णव, २५/२३
१८. वही, २५/४ १९. वही, २५/३८-४०
२०. वही, २५/४१-४३ २१. सर्वार्थसिद्धि, ९/२८
२२. ज्ञानार्णव, २६/२ २३. वही, २६/३
२४. वही, २६/३६ २५. वही, २६/३७-३८
२६. ज्ञानार्णव, २७/१ २७. वही, २७/३-४
२८. वही, ३३/५ २९. द्रष्टव्य- तत्त्वार्थवार्तिक ९/३६-३७ ३०. ज्ञानार्णव, ४१/१४
३१. वही, ४१/१६-२७ ३२. ज्ञानार्णव ४१/१५ के पश्चात् 'उक्तं च' कहकर
प्रदत्त श्लोक का भाव तथा ४१/१२-१३ ३३. वही, ४/३७
३४. वही, ३/३२ ३५. ज्ञानार्णव, ४२/४
३६. वही, ४२/५ के पश्चात् उद्धृत
श्लोक ३७. वही, ४२/१३-१७
३८. वही, ४२/१७ के पश्चात् उद्धृत
श्लोक ३९. ज्ञानार्णव, ४२/१२
४०. वही, ४२/५ ४१. वही, ४२/५२-५४
४२. वही, ४०/६ ४३. ज्ञानार्णव, ४०/६-१०
४४. वही, ४०/१ ४५. वही, ४०/३,५
४६. द्रष्टव्य-ज्ञानार्णव, ३९/४१-४३ ४७. तत्त्वानुशासन, १९०
४८. ज्ञानार्णव, ३/१४ ४९. वही, ४/३२-५५
५०. वही, ४/५६
- उपाचार्य एवं अध्यक्ष, संस्कृत एस.डी. कालेज, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)

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