Book Title: Anekant 1984 Book 37 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 3
________________ ओम् अर्हम् KAVM Trail परमागमस्य बीजं निषिद्धजात्यन्धसिन्धुरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमथनं नमाम्यनेकान्तम् ॥ वष ३७ किरण १ वीर-सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वीर-निर्वाण सवत् २५१०, वि० स०२०४० जनवरी-माचं १९८४ मुनिवर-स्तुति कबधौं मिले मोहि श्रीगुरु मुनिवर, करिहैं भव-वधि पारा हो। भोग उदार जोग जिन लोनो, छांडि परिग्रह भारा हो। इन्द्रिय-ममन नमन मद कोनो, विषय कषाय निवारा हो। कंचन-कांद बराबर जिनके, निन्दक बंदर सारा हो । दुधर-तप तपि सम्यक निज घर, मन-वच-तन कर धारा हो। प्रीषम गिरि हिम सरिता तीरें, पावस तलतल ठारा हो। करुणा भीन, चीन त्रस-थावर, ईर्या पंथ समारा हो । मार मार, व्रतधार शोल दृढ़, मोह महाबल टारा हो। माम छमास उपास, बास बन, प्रासुक करत प्रहारा हो। भारत रौद्र लेश नहिं जिनके, धरम शुकल चित धारा हो। ध्यानारूढ़ गूढ़ निज प्रातम, शुध उपयोग विचारा हो॥ माप तरहि पौरन को तारहि, भवजलसिंधु प्रपारा हो। 'दौलत' ऐसे जैन जतिन को, मितप्रति धोक हमारा हो।

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