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अनेकान्त
. [ वर्ष ६
जी सोनी अजमेर, रायबहादुर सेठ हीरालालजी उस समय हम लोग वीरसेवामन्दिरको अपनी शक्ति इन्दौर, बा०. निर्मलकुमारजी जैन आरा, लाल से भी अधिक सहयोग देनेके लिये तैयार रहेंगे और कपूरचन्दजी कानपुर, साहू श्रेयांसप्रसादजी बम्बई, मुख्तार सा०की इच्छानुसार वीरसेवामन्दिरके लिये सेठ लालचन्दजी सेठी उज्जैन, सेठ गुलाबचन्दजी स्थानादिका अपने यहाँ सुप्रबन्ध कर देंगे। इसका उप. टोंग्या इन्दौर सेठ रतनचन्द चुन्नीलाल झबेरी बम्बई, , स्थित जनताने हर्षध्वनिके साथ अभिनन्दन किया और वैद्यरत्न हकीम कन्हैयालालजी कानपुर. बा० मानिक- बड़ा ही आनन्द व्यक्त किया। उसके बाद विदुषीरत्न चन्दजी सरावगी कलकत्ता, बा० छोटेलालजी जैन ब्र. पं० सुमतिबाईका सारगर्भित भाषण होकर उत्सवकलकत्ता, बा० नेमचन्द बालचन्दजी गाँधी सोलापुर, की शेष कार्रवाई रात्रिके लिये स्थगित की गई। बा० लालचन्दजी एडवोकेट रोहतक, बा० नानकचन्द रात्रिमें पं० मुन्नालालजी समगौरया, पं० दयाचन्द्र जी एडवोकेट रोहतक. बा० उग्रसेनजी वकील रोहतक जी शास्त्री, मा० शिवरामजी, पं० परमेष्ठीदासजी बा० जयभगवानजी एडवोकेट पानीपत, पं० इन्द्रलाल आदिके प्रकृत विषयपर ओजस्वी व्याख्यान हुए। दूसरे जी शास्त्री जयपुर, पं० चैनसुखदासजी जयपुर पं० दिन पं० पन्नालालजी साहित्याचार्य, प्रो० पन्नालालजी जगन्मोहनलालजी कटनी, ला० परसादीलालजी धर्मालङ्कार, बा० सुकुमालचन्दजी देहली, मुख्तार सा० पाटनी देहली, ला०. तनसुखरायजी देहली, सिं० और पूज्य अध्यक्षजीके सामयिक भाषण हुए । इसके गनपतलालजी गुरहा खुरई, बा० कामताप्रसादजी बाद धन्यवादादि सहित विसर्जनपूर्वक उत्सव निर्विघ्न अलीगञ्ज, पं० तुलसीरामजी बड़ौत, सेठ चिरञ्जीलाल समाप्त हुआ। जी बड़जात्या वर्धा, पं० भुजबलीजी शास्त्री मूडबिद्री, उत्सवमें तीन प्रस्ताव भी पास हुए, दो प्रस्ताव पं० बलाद्रजा सम्पादक 'जन सन्दश' आगरा प्रभृत महात्मा गाँधी और पं० रामप्रसादजी शास्त्रीके श्रवमहानुभाव हैं । पं० फूलचन्द्रजी शास्त्री, पं० कैलाशचंद्र सानपर शोक-विषयक हैं और तीसरा वीरशासनजी.शास्त्री और पं० राजेन्द्रकुमारजी न्यायतीर्थके वीर- जयन्तीपर्वको सर्वत्र व्यापकरूपमें मनाये जानेकी शासनपर महत्वके भाषण हुए। पं० राजेन्द्रकुमारजीने प्रेरणा विषयक है। जब वीरसेवामन्दिरके कार्योंका उल्लेख करते हुए इसी अवसरपर भा० दि० जैन विद्वत्परिषदकी मुख्तार सा०की जैन-साहित्य और इतिहासके लिये कार्यकारिणी और पाठ्य-निर्माणसमितिकी भी बैठके की गई सेवाओंपर गर्व प्रकट किया और वीरसेवा- हई और जिनमें अनेक बातोंपर विचार-विमर्श हुआ। मन्दिरको इतिहासनिर्माणकी ओर मुख्यतः गति करने
इन आयोजनों में सबसे ज्यादा व्यवस्थादिविषयक पर जोर दिया तब मुख्तार सा० ने एक मार्मिक भाषण
कष्ट और परिश्रम पं० चन्द्रमौलिजी शास्त्री, श्री दिया जिसमें आपने वोरसेवामन्दिरकी आवश्यकताओं
भैयालालजी स्वागतमन्त्री, बा० हीरालालजी स्वागतातथा अपनी इच्छाओं और प्रवृत्तियोंको व्यक्त करते
ध्यक्ष और सेठ गणेशीलालजीको उठाना पड़ा है और हुए समाजको सच्चा सहयोग देने एवं वीरसेवामन्दिर
इसके लिये वे अवश्य समाजके धन्यवादपात्र है। को पूर्णतः अपनाकर उसे देहलीमें विशालरूप देनेके
मुरारकी जैन-समाज भी धन्यवादकी पात्र है, जिसने लिये प्रेरित किया। इसपर पूज्य अध्यक्षजीका बड़ा
अपने श्रद्धापूर्ण हृदयोंसे पूज्यवर्णीसंघका चतुर्मास ही प्रभावपूर्ण भाषण हुआ, जिसके द्वारा समाजको
कराया और उसके निमित्तसे वीरशासन-जयन्ती जैसे उक्त सहयोग देनेकी विशेष प्रेरणा की गई ।
महत्वपूर्ण उत्सव तथा विद्वत्परिषदकी कार्यकारिणी और देहलीके उपस्थित सभी श्रीमानोंकी ओरसे ,
की बैठकोंका आयोजन किया। रायबहादुर बा० उल्फतरायजीने स्पष्ट शब्दोंमें आश्वासन दिया कि जब पूज्य वर्णीजी देहलो पधारेंगे
-दरबारीलाल
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