Book Title: Anekant 1948 05 Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Jugalkishor Mukhtar View full book textPage 2
________________ विषय-सूची विषय प्रय १६७ १६८ १६६ १८१ १८२ १८३ १८६ १ सम्यम्दृष्टि-[स्व. कवि बनारसीदास २ परमात्मराज-स्तोत्र (भीपद्मनन्दि मुनिकृत) ३ समवसरणमें शुद्रोंका प्रवेश-[प्र. सम्पादक ३ वर्णीजीका हालका एक आध्यात्मिक पत्र ५ कुत्ते (कहानी)-[गोयलीय ६ त्यागका वास्तविक रूप-[पं० श्रीगणेशप्रसाद वर्णी ७ समय रहते सावधान (कविता)-[स्व० कवि भूधरदास ८ संगीतपुरके सालुवेन्द्र नरेश और जैनधर्म-[ बा० कामताप्रसाद ६ जैनधर्म बनाम समाजवाद-[पं. नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य १० सन्मति-विद्या-विनोद-जुगलकिशोर मुख्तार ११ मुजफ्फरनगरका परिषद्-अधिवेशन-[बा० माईदयाल बी० ए. १२ बर्नार्डशाके पत्रका एक अंश [बा. ज्योतिप्रसाद जैन १३ पाकिस्तानी-पत्र-[गोयलीय १४ सम्पादकीय-[अयोध्याप्रसाद गोयलीय १५ कथित स्वोपज्ञ भाष्य-[-बा. ज्योतिप्रसाद एम. ए. १८७ १८६ •१६७ २०४ २०६ २०७ २०८ २११ कीरशासन-जयन्ती मनाइये श्रावण कृष्ण-प्रतिपदाकी पुण्यतिथि प्रारही है इस वर्ष आगामी २२ जुलाई १९४८ बृहस्पतिवार- महत्व है। भारतवर्षमें पहले वर्षका प्रारम्भ इसी को श्रावणकृष्णाप्रतिपदाकी पुण्य - तिथी अर्थात् दिनसे हुआ करता था। . वीरशासनजयन्ती अवतरित हो रही है । इस दिन इस तरह यह पुण्यतिथि-वीरशासन जयन्ती भगवान महावीरका तीथे (शासन) प्रवर्तित हुआ था- सभीके द्वारा समारोहके साथ मनाये जानेके योग्य इसी दिन उन्होंने अपना लोक-कल्याणकारी सर्वप्रथम है। सब जगह प्रत्येक गांव और शहरके लोगोंको उपदेश दिया था, उनकी दिव्यध्वनि वाणी पहले पहल अभीसे उसको मनानेकी तैयारियां शुरू कर देनी खिरी थी, जिसे सुन कर दुखी और अशान्त जनताने चाहिये । वीरसेवामन्दिर इस बार इस पुण्य पर्वको सुख-शान्तिका अपूर्व अनुभव किया था साथ ही मनानेकी कुछ विशिष्ट आयोजनाएँ तत्परताके साथ धर्मके नामपर होनेवाले बलिदानों और अत्याचारों कर रहा है । इस दिन अहिंसा और अपरिग्रह-जैसे की रोक हुई थी। भगवान वीरने हिंसा अहिंसा जैन सिद्धान्तोंका प्रचारक सुन्दर साहित्य लोकमें तथा धर्म-अधर्मका तत्त्व इसी दिनसे समझाना प्रचर मात्रामें प्रचारित किया जाना चाहिये, महावीरप्रारम्भ किया था, अहिंसा और अपरिग्रह धर्मका सन्देशको घर घरमें पहुंचाना चाहिये और उसके लोगोंको यथार्थ स्वरूप समझाया था और इसलिये । अनुसार चलनेका पूरा प्रयत्न होना चाहिये । यह दिन कृतज्ञ संसारके लिये बड़े महत्वका है। इसके सिवाय, इस तिथिका ऐतिहासिक भी -दरबारीलाल कोठिया (न्यायाचार्य) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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