Book Title: Anandadidas Uvasagkathao
Author(s): Amrut Patel
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ अनुसन्धान ४८ २७३-३२८) ९. नन्दिनीपिता (गाथा ३२९-३३३) १०, लंतिय (शालही० उवा०) पिता (गाथा ३३४-३३८) आटली बाबतोनो संग्रह थयो छे. ___अहीं दरेक श्रावकने ‘गाहावई' गाथापति धनाढ्य-समृद्ध सद्गृहस्थ कह्या छे, एटले दरेक श्रावक समृद्धिसम्पन्न अने समाजमां लब्धप्रतिष्ठ हता. आमां आनन्द श्रावक, कुण्डकोलिक श्रावक, सद्दाल श्रावक अने महाशतक श्रावकनी कथाओ प्रमाणमां कंईक मोटी छे. कारण के आनन्दकथामां तेमनी समृद्धिनुं तथा तेमना अवधिज्ञान अंगेनुं वर्णन छे. कुण्डकोलिक अने कोईक देवनी वच्चे आजीवकमत विषे थयेली चर्चामां देव निरुत्तर थई जाय छे. सद्दालपुत्र पोते आजीवक मतानुयायी हता, वीरभगवाननी देशनाथी सम्यक्त्व पाम्या. त्यार बाद ते समयनां मूर्धन्य आजीवक गोशालक अने सद्दालपुत्र वच्चे चर्चा थाय छे. तेमां आजीवकमतनुं निरसन कई रीते थाय छे तेनुं वर्णन छे. महाशतक श्रावककथामां धर्ममार्गे पौषधव्रतनी आराधना करतां महाशतक ने तेनी ज एक भोग-विलासमग्न पत्नी 'रेवती'अनुकूळ उपसर्गो कर्या हता तेमां निश्चल रहेता महाशतक श्रावकने अवधिज्ञान थाय छे, एचं वर्णन छे. ग्रन्थकारे ३३९मां प्राकृतभाषामां स्रग्धरावृत्तबद्ध एक ज पद्यमां ग्रन्थनी प्रशस्ति रची छे. त्यार बाद संस्कृत भाषामां मालिनी वगेरे विविध वृत्तबध्ध १० पद्योमां ग्रन्थलेखन प्रशस्ति छे. तेमां ग्रन्थ लखावनार ऊकेशवंशनां भुवनपाल साधुना पूर्वजोनुं वर्णन छे. अन्तमां 'अथ चूर्णि: ना मथाळा हेठळ प्रस्तुत ग्रन्थमा आवता केटलाक प्राकृत देशी - आर्ष शब्दो, संस्कृतभाषामां अर्थ विवरण कर्यु छे. तेमां 'उवासगदसा' नामक आगम ग्रन्थ उपरनी नवांगी टीकाकार अभयदेवसूरिनी वृत्तिनो पण उपयोग करवामां आव्यो छे. १. प्रस्तुत ताडपत्रीय प्रत वि.सं. १३०९मां, मेदपाट-मेवाडमां बरग्राममां अभयी श्रावक तथा समुद्धरण श्राविकानी सावि नामनी कुलपुत्रीओ 'धन्य-शालिभद्रकृतपुण्य महर्षिचरितादि पुस्तिका' पोताना श्रेयार्थे लखी छे. पुस्तकनी आ प्रशस्तिनां ९मा पद्यमां पुस्तिका लखावनार भुवनपाल साधुनो उल्लेख छे. तेना पूर्वजोनो विस्तृत परिचय छे. परन्तु लेखन संवत् नथी. २. जिनपतिसूरिजीए नेमिचन्द्र भंडारीने बोध पमाड्यो हतो. पछी भंडारीओ षष्ठीशतक ग्रन्थनी रचना करी हती. आ जिनपतिसूरिने पूर्णभद्रगणि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 34