Book Title: Anand Pravachan Part 12
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 7
________________ ५६ तक कुल १६ प्रवचन हैं । ग्यारहवें भाग में ६० से ८० तक २१ प्रवचन है तथा बारहवें भाग में ८१ से १०० तक १० प्रवचन हैं। इस प्रकार ८ से १२ तक के पाँच भागों में १०० प्रवचन दिये गये हैं। 'गौतमकुलक' जैन साहित्य का बहुत ही विचार-चिन्तनपूर्ण सामग्री से भरा सुन्दर ग्रन्थ है । इसका प्रत्येक चरण एक जीवनसूत्र है, अनुभूति और संभूति का भंडार है । ग्रन्थ परिमाण में बहुत ही छोटा है, सिर्फ बीस गाथाओं का, किन्तु प्रत्येक गाथा के प्रत्येक चरण में गहनतम विचार-सामग्री भरी हुई हैं। अगर एक-एक चरण पर चिन्तन-मनन किया जाये तो भी विशाल विचार साहित्य तैयार हो सकता है । श्रद्धेय आचार्य सम्राट ने अपने गहनतम अध्ययन-अनुभव के आधार पर इस ग्रन्थ के एक-एक सूत्र पर विविध दृष्टियों से चिन्तन-मनन-प्रत्यालोचन कर जीवन का नवनीत प्रस्तुत किया है। इन प्रवचनों में जहाँ चिन्तन की गहराई है, वहाँ जीवन जोने की सच्ची कला भी है । गौतम कुलक के इन प्रवचनों को पाँच भागों में प्रकाशित किया गया है । प्रथम खण्ड पाठकों की सेवा में तीन वर्ष पूर्व पहुँचा था। गौतम कुलक पर प्रवचनों का द्वितीय खण्ड, तृतीय खण्ड और चतुर्थ खण्ड भी छप चुका है और यह पाँचवाँ खण्ड की सेवा में प्रस्तुत है। इन प्रवचनों का सम्पादन यशस्वी साहित्यकार श्रीचन्द जी सुराना ने किया है। विद्वान लेखक मुनिश्री नेमीचन्दजी महाराज का मार्गदर्शन एवं उपयोगी सहकार भी समय-समय पर मिलता रहा है। इसके प्रूफ संशोधन में श्रीयुत बृजमोहनजी जैन का स्मरणीय सहयोग रहा है। हम उनके आभारी हैं। आशा है, यह प्रवचन पुस्तक पाठकों को पसन्द आएगी। मन्त्री भी रत्न जैन पुस्तकालय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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