Book Title: Anand Pravachan Part 12
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 8
________________ उदार-सहयोगी दूगड़ परिवार : एक परिचय दानवीर सेठ दुलीचन्दजी दूगड़, चन्द्रपुर [वरोरा] आनन्द प्रवचन, भाग १२ के प्रकाशन में हमारे समाज के प्रसिद्ध श्रीमंत, दानी, तपस्वी व गुरुभक्त श्रीमान प्रकाशचन्दजी दूगड़ ने अपने पूज्य पिताजी व सौ० माताजी की तरफ से उदार अर्थ-सहयोग प्रदान किया है । आपका परिचय इस प्रकार है। ___ महाराष्ट्र के वरौरा (विदर्भ) क्षेत्र में श्रीमान जगन्नाथजी दूगड़ का परिवार रहता है। यह परिवार बड़ा ही धार्मिक, संस्कारी व सम्पन्न है। इस परिवार में श्रीमान जगन्नाथजी की धर्मशाला पत्नी श्रीमती केसरदेवीजी के उदर से श्री दुलीचन्दजी का जन्म हुआ। दुलीचन्दजी बड़े ही सात्त्विक, धर्मप्रेमी व भाग्यशाली पुरुष हैं। पूर्वपुण्यों व पुरुषार्थ के बल पर आपने विपुल सम्पत्ति कमाई व लाखों ही रुपये धर्म व समाज-सेवा के कार्यों में खर्च किये, व कर रहे हैं । आपकी धर्मपत्नी सौ० तीजाँबाई एक अति सात्त्विक, सादगी सम्पन्न, धार्मिक विचारों की तपस्विनी महिला हैं। आप ६ साल से लगातार वर्षीतप कर रही हैं। वर्षीतप के दौरान अनेक अठाइयाँ आदि विविध महान् तपस्याएं भी करती रहती हैं। साधु-सतियों की सेवा, दान, पुण्य आदि सत्कार्यों में सदा जागरूक व आगे रहती हैं। सौ० तीजाबाई को सत्कार्यों में दान करके बड़ी प्रसन्नता अनुभव होती है । यह आपकी. दुलंभ विशेषता है। श्रीमान दुलीचन्दजी के चार सुपुत्र हैं-१. सुभाषकुमारजी २. प्रकाशचन्दजी ३. दिलीपकुमारजी व ४. प्रदीपकुमारजी। चारों ही बन्धु परस्पर प्रेम व विनयशील हैं । धर्म के प्रति सभी के मन में अपार श्रद्धा है। सभी सुसंस्कारी हैं। अभी आपका मुख्य निवास चन्द्रपुर में है। अपने पुरुषार्थ, कठिन श्रम, मिलनसारिता और ईमानदारी के कारण आपने व्यापार में बहुत उन्नति की है। चन्द्रपुर, आकोला, औरंगाबाद तथा बीड़ जिला में आपकी बहुत प्रसिद्धि है। चारों ही स्थानों पर आपका व्यापार फैला है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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