Book Title: Anand Pravachan Part 04 Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain Publisher: Ratna Jain Pustakalaya View full book textPage 6
________________ प्रकाशकीय अतीव हर्ष का विषय है कि हमारे श्रमण संघ के परम श्रद्धेय पूज्यपाद आचार्य प्रवर श्री आनन्द ऋषि जी म० सा० के प्रवचनों के संग्रह हम श्रद्धालु पाठकों के लिये प्रकाशित कर रहे हैं । 'आनन्द- प्रवचन' के रूप में प्रवचन माला का यह चतुर्थ पुष्प जनता के समक्ष आ रहा है । आध्यात्म प्रेमी पाठकों की प्रेरणा से ही यह प्रकाशन प्रारम्भ किया गया था और उनकी बढ़ती हुई माँग के कारण ही यह जारी है । पूर्व प्रकाशित प्रवचन संग्रहों को जिज्ञासु एवं धर्मप्रिय बंधुओं ने बहुत पसंद किया है, अतः इस माला के प्रकाशन में हमारी रुचि एवं उत्साह में अभिवृद्धि हो रही है । आप को भी यह जान कर हर्ष होगा कि 'आनन्द प्रवचन' का अगला पाँचवा भाग भी सम्पादित हो रहा है और वह शीघ्र ही आपको उपलब्ध हो सकेगा । इसका सम्पादन सुश्री कमला जैन 'जीजी' एम० ए० कर रही हैं । यह संपादन अत्यन्त सफल एवं सराहनीय सिद्ध हुआ है । आप जैन समाज के भूषण एवं गणमान्य विद्वान पं० शोभाचन्द्र जी भारि ल्ल की सुपुत्री है । भारिल्ल सा० ने अपने जीवन में समाज की जो अथक सेवा की है वह चिरस्मरणीय है और अब अपनी पुत्री श्री कमला बहन को भी इस सेवा के लिये प्रेरित किया है इसके लिये हम अत्यन्त आभारी हैं । I साथ ही हम श्रीयुत श्रीचन्द जी सुराणा के भी आभारी हैं जिन्होंने आनन्द प्रवचन के सभी भागों का मुद्रण अपने हाथ में लेकर पुस्तकों को अत्यन्त सुन्दर रूप प्रदान किया है । आशा है प्रथम तीनों भागों के समान ही इस चतुर्थ भाग को भी पाठक पसन्द करेंगे और समुचित लाभ उठाएँगे । Jain Education International - मंत्री श्री रत्न जैन पुस्तकालय पाथर्डी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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